Meditation Myths: दुनिया भर के लोग स्ट्रेस और डिप्रेशन से बचने के लिए आजकल योग और मेडिटेशन का सहारा ले रहे हैं। मेडिटेशन को लेकर भी लोगों के बीच बहुत सी भ्रांतियां फैली हुई हैं। इन वजहों से भी कई लोग सही तरह से ध्यान नहीं कर पाते और उसका लाभ नहीं ले पाते हैं। जानिए ऐसी ही कुछ बातों के बारे में
ध्यान को लेकर देश-विदेश में बहुत सी मान्यताएं प्रचलित हैं। इनमें से कुछ सही हैं तो कुछ निराधार। जैसे कि
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वास्तव में ध्यान कई तरह का होता है। मोटे तौर पर आपका उद्देश्य क्या है, इसी के आधार पर ध्यान का तरीका चुना जाता है। तरीका बदलते ही ध्यान का प्रभाव भी बदल जाता है। यह तरीका आप किसी एक्सपर्ट से सलाह लेकर जान सकते हैं या किसी मनोवैज्ञानिक की भी सलाह ले सकते हैं।
यह भी एक भ्रांति ही है। ध्यान के जरिए आदमी अपने दिमाग को कंट्रोल करना सीखता है ताकि वह अपने इमोशन्स और ट्रोमा को संभालना सीख सके। इससे वैराग्य नहीं आता वरन परिस्थितियों को समझने और उनके अनुसार सही तरह से रिएक्ट करने की क्षमता बढ़ती है।
यह भी एक आधा-अधूरा सत्य है। ध्यान आरंभ करने के कुछ दिन बाद से ही लाभ मिलने लगता है। आप किस तरह से और कितनी देर ध्यान करते हैं, इसका बहुत प्रभाव पड़ता है। आम तौर पर सही तरह से मेडिटेशन करने पर 15 से 20 दिन में ही असर दिखाई देने लगता है।
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यह भी कोई अनिवार्य शर्त नहीं है। अगर आपको केवल 10 से 15 मिनट फ्री मिलते हैं तो उसमें भी आप ध्यान कर सकते हैं। ध्यान 5 मिनट से लेकर 5 घंटे तक किया जा सकता है लेकिन शर्त यही है कि तरीका बिल्कुल सही होना चाहिए।
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