ज्योतिष

Mahashivratri Muhurat 2024: महाशिवरात्रि पर इन मुहूर्त में ऐसे करें शिव की पूजा, जीवन बदल जाएगा

Mahashivratri Muhurat 2024: इस बार महाशिवरात्रि पर कई विशेष शुभ संयोग बन रहे हैं, जिन्हें ज्योतिष में समस्त मांगलिक कार्यों के लिए अति उत्तम माना गया है। भगवान भोलेनाथ की आराधना को समर्पित शिवरात्रि पर शिव योग, सर्वार्थ-सिद्धि योग, श्रवण योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य उरुक्रम शर्मा से जानिए कि इस बार कौनसे मुहूर्त रहेंगे और किस तरह भगवान शिव की पूजा करना आपकी मनोकामनाओं को पूर्ण करेगा।

महाशिवरात्रि पर बना त्रिग्रही योग

ज्योतिषाचार्य उरुक्रम शर्मा के अनुसार इस बार लगभग 300 वर्ष बाद महाशिवरात्रि पर त्रिग्रही योग बन रहा है और इसी दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी है। महाशिवरात्रि पर शुक्रवार है, उस दिन सूर्य, शनि और शुक्र ग्रह कुंभ राशि में रहेंगे जो कि त्रिग्रही योग का निर्माण कर रहा है। त्रिग्रही योग महादेव की आराधना के लिए उत्तम माना गाय है। इस मुहूर्त में पूजा कर बाबा भोलेनाथ से मनचाहा वरदान भी प्राप्त किया जा सकता है।

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क्या है पूजा का समय

महाशिवरात्रि इस बार 8 मार्च 2023 को है। वैसे तो पूरा दिन ही पूजा के लिए शुभ है, फिर भी कुछ मुहूर्त विशेष हैं, जिनमें आप पूजा कर पाएंगे। पूजा के लिए प्रथम पहर सायं 6.28 बजे से 9.32 बजे तक, दूसरा पहर रात्रि 9.33 बजे से अर्द्धरात्रि बाद 12.37 बजे तक, तीसरा पहर मध्य रात्रि 12.38 बजे से 3.42 बजे तक तथा चतुर्थ पहल में 3.42 बजे से अगले दिन प्रातः 6.46 बजे तक उत्तम रहेगा। इन सभी मुहूर्तों को शिव पूजा के लिए सर्वोत्तम बताया गया है।

भगवान शिव की इस पूजा से होगा लाभ

ज्योतिषाचार्य उरुक्रम शर्मा के अनुसार महाशिवरात्रि पर शिव और शक्ति दोनों की पूजा का प्रावधान बताया गया है। अतः भगवान शिव के साथ ही मां पार्वती की भी पूजा की जानी चाहिए। शिव पूजा के लिए शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए, सफेद चंदन से तिलक लगाएं, उन्हें सुंगधित सफेद पुष्प अर्पित करें, आक-धतूरा-बिल्व फल चढ़ाएं तथा यथाशक्ति शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जप करें।

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यदि जन्मकुंडली में कोई ग्रह दुष्ट प्रभाव दे रहा है तो उसके लिए भी महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जप अनुष्ठान करवाया जा सकता है। इससे तुरंत ही लाभ होता है और अशुभ ग्रह भी शुभ फल देने लगते हैं। इनके अतिरिक्त प्रदोष और चतुर्दशी तिथि को तंत्र अनुष्ठानों के लिए विशेष बताया गया है। आप भी अपने गुरु के सानिध्य में इस तरह के अनुष्ठान कर सकते हैं।

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