Mandir Masjid Gumbad Story: हम सभी लोग मंदिर-मस्जिद और गुरुद्वारा को लेकर कई प्रकार की बातें करते है लेकिन हमने कभी इस बात पर गोर नहीं किया की इन सब में एक चीज की समानता है। इन धार्मिक स्थलों का निर्माण सदियों से चला रहा है लेकिन इसमें एक समानता आज भी है जिसका बहुत ज्यादा आध्यातिमक कारण माना जाता है। लेकिन उनके ऊपर की छत पर गुंबद या शिखर जरूर बना होता है अैर इसी वजह से दूर से उसकी पहचान हो जाती है।
मंदिरों में गुंबद होना एक आम बात है लेकिन इसके पीछे का रहस्य बहुत ही खास है। हिन्दू धर्म को दर्शाते मंदिरों में आपको गुंबद विशेष रूप से बनी हुई नजर आएगी और मस्जिद में बनी गुंबद का आकार अलग रूप से बना होगा। लेकिन दोनों का धार्मिक महत्व एक जैसा है। इस गुंबद को बनाने के पीछे वास्तु शास्त्र है तो वहीं दूसरी तरफ परंपरा है।
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जब कोई इंसानभगवान की प्रतिमा के सामने बैठकर पूजा करता है तो उसके मुख से निकलने वाली ध्वनि गुंबद से टकराती है। इसके कारण मंत्र में मौजूद शक्ति एक स्थान पर केन्द्रित होती है और फिर उस स्थान से उसकी ध्वनि सीधे भगवान तक पहुंचती है।
खुले आसमान के नीचे पूजा या प्रार्थना करने से हमारी प्रार्थना चोरों ओर फेल कर लुप्त हो जाती है और हमारे पास वापिस लौटकर नहीं आती। लेकिन जब प्रार्थना मंदिर में बैठकर करते है तो वह गुंबद से टकराकर वह पुनः हम तक लौट आती है। प्रार्थना का लौटना इसलिए आवश्यक होता है ताकि व्यक्ति उस बात को बार—बार स्मरण करते रहें।
मंदिर में गुंबद नजर आता है, लेकिन घर में गुंबद वाला मंदिर वर्जित माना जाता है। मान्यता है कि घर में रखे मंदिर में गुंबद अशुभ माना जाता है। मंदिर में गुंबद पर ध्वजा लगाई जाती है, लेकिन घर में मंदिर रखते हैं तो उसमें ध्वजा और कलश स्थापना संभव नहीं होता है। इसलिए घर के मंदिर में गुंबद नहीं होना चाहिए।
अगर कोई मंदिर नहीं जा सकता है लेकिन दूर से ही मंदिर में लगे ध्वजा ओर कलश को देखकर प्रणाम कर लें तो इस मंदिर मे दर्शन किये जितना ही शुभ माना जाता है।
मस्जिद में गुंबद लगाने की प्रकिया बहुत अलग होती है लेकिन इसका महत्व मंदिर जैसा ही है। क्योंकि मस्जिद में गुंबद एक से ज्यादा भी होती है जो मंदिर में भी देखने को मिलती है।
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मंदिर का गुंबद भगवान के गृभग्रह से जुड़ा होता है तो मस्जिद का गुंबद किसी शासक की समाधी से जुड़ा होता है।
मंदिर और मस्जिद में गुंबद होने के अपने—अपने महत्व है लेकिन यह आस्था का विषय है जो सदियों से चला आ रहा है। इनकी बनावट भी गांव, शहर, देश और विदेश में अलग—अलग प्रकार की दिखाई देगी लेकिन इनका महत्व एक जैसा है।
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