अयोध्या में राममंदिर की तैयारियां लगभग पूरी होने जा रही है और मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। इस प्राण प्रतिष्ठा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश के कई बड़े लोग इसमें शामिल होंगे। 2.7 एकड़ में राम मंदिर बना है और इसकी ऊंचाई लगभग 162 फीट है। मंदिर परिसर के मुख्य द्वार को सिंह द्वार का नाम रखा है। सूर्य स्तंभ भगवान राम के सूर्यवंशी होने के प्रतीक को दर्शाने के लिए लगाए है जो पूरे मार्ग में दिखाए देंगे।
सड़कों के किनारों पर रामायण काल के प्रसंगों को दर्शाया गया है। दीवारें टेराकोटा फाइन क्ले म्यूरल कलाकृतियों से सजी होंगी जो त्रेतायुग जैसा एहसास कराएगी। श्री राम का जन्म त्रेतायुग में हुआ था और इसी वजह से त्रेतायुग थीम से अयोध्या नगरी को सजाया गया है। मान्यताओं के अनुसार पूरा जीवन चार युगों में बटा हुआ है। त्रेता युग सनातन धर्म का दूसरा युग था।
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त्रेतायुग में धर्म 3 स्तंभों पर खड़ा था और लोग कर्म करके फल प्राप्त करने की इच्छा रखते थे। त्रेतायुग में ही भगवान विष्णु ने वामन, परशुराम और अंतिम में श्रीराम के रूप में जन्म लिया। श्री राम अयोध्या राजा दशरथ के पुत्र थे और पिता के कहने पर ही 14 वर्ष का वनवास भी किया था। इस दौरान उन्होंने राक्षसों का नाश करने वनवास के बाद अपने घर लौटे थे।
22 जनवरी को भगवान राम बालस्वरूप में अपने नवनिर्मित मंदिर में विराजित होंगे। 2.70 एकड़ में विकसित किया गया तीन मंजिला मंदिर राम के धाम का महज एक हिस्सा है। मंदिर परिसर का काम पूरा होने में एक साल से अधिक का समय लगेगा। 70 एकड़ के कॉम्प्लेक्स को अध्यात्म, इतिहास और कई सुविधाओं के रूप में विकसित किया जा रहा है। यंहा आने वाले श्रद्धालुओं को त्रेतायुगीन परंपराओं और भव्यता का अनुभव हो सके इसका ध्यान रखा जा रहा है।
मंदिर परिसर में हरित क्षेत्र का विशेष ध्यान रखा गया है लेकिन पौधारोपण पौराणिक मान्यताओं के अनुसार किया जा रहा है। परिसर में विकसित की जाने वाली वाटिकाओं का नामकरण भी रामायणकालीन पात्रों के नाम के हिसाब से तय किया है। परिसर में जो पौधे लगाए जा रहे हैं, वे भी अलग-अलग मान्याताओं के अनुसार चयनित किए गए हैं।
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अयोध्या राम की जन्मस्थली है पर पूजा उनके बालरूप में होगी। गर्भगृह में भगवान राम की प्रतिमा उनके बालस्वरूप रामलला के रूप में ही स्थापित की जाएगी जिसके लिए चुनाव करना बाकि है। गर्भगृह में पांच वर्ष की आयु के बालक के रूप में अकेले ही विराजमान होंगे।
22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त दिया गया है। इस शुभ मुहूर्त में ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने शुभ मुहूर्त का क्षण 84 सेकंड बताया है। 22 जनवरी 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक यह मुहूर्त है।
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