RamNavami Par Puja Kaise Kare: बुधवार को शक्ति आराधना का पर्व नवरात्रि समाप्त हो रहा है। इसी दिन मां सिद्धिदात्री के साथ ही भगवान राम की भी पूजा होगी और नवरात्रि अनुष्ठान पूर्ण कर विधिवत कन्या पूजन करवाया जाएगा। बहुत से लोगों को यह भी संदेह होता है कि रामनवमी पर किस प्रकार भगवान राम की पूजा करनी चाहिए ताकि उन्हें उनके द्वारा किए गए अनुष्ठानों का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।
शास्त्रों में भगवान राम की पूजा करने के लिए शास्त्रोक्त और तंत्रोक्त दो प्रकार के विधान बताए गए हैं। इनमें शास्त्रोक्त विधान वेद परंपरा वाले विधान हैं जो सहज, सरल और पूर्णतया सात्विक हैं। वेदोक्त परंपरा की पूजा से मनुष्य को ज्ञान, भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तंत्रोक्त विधान की पूजा तंत्र शास्त्रों में बताई गई है। इसका प्रयोग किसी विशेष उद्देश्य (यथा शक्ति प्राप्त करने हेतु) को लेकर किया जाता है। इसका विधि-विधान बड़ा जटिल और कठिन होता है।
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यदि आपने नवरात्रि का अनुष्ठान किया है तो आपको भी भगवान राम का पूजन करना होगा। इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर शुभ मुहूर्त में पूजा करें। सर्वप्रथम गणपति की पूजा कर उनका आशीर्वाद लें, अब अपने ईष्ट देव की पूजा करें। भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करें, राम दरबार की पूजा करें, सबसे अंत में हनुमानजी की पूजा करें। उन्हें धूप, दीपक, तुलसी, सुगंध, फल नैवेद्य, पुष्प माला, आदि अर्पित करें। संभव हो तो रामचरितमानस में दी गई स्तुति करें। स्तुति का गान किस प्रकार करना है, यह जानने के लिए यहां दिया गया वीडियो भी देख सकते हैं।
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता। गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता॥
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई। जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई॥
जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा। अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा॥
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा। निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा॥
इसके साथ ही हनुमानजी की पूजा करें तथा यथाशक्ति राम नाम का अधिकाधिक जप करें। संभव हो तो रामचरितमानस की किसी विशेष चौपाई को भी इस दिन सिद्ध करने का प्रयास कर सकते हैं। इस प्रकार पूजा पूर्ण होगी। पूजा के अंत में कन्याओं, ब्राह्मणों को भोजन कराएं। अपनी सामर्थ्य के अनुसार अनाथ बालक, विकलांग अथवा रोगी भिखारियों को भोजन, अन्न, वस्त्र आदि दान करें। इस प्रकार राम जी की पूजा पूर्ण होगी।
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