Ramzan ka Wazifa : रमजान का आखिरी अशरा है और आज शबे क़द्र है। इसे हम भारत में 27वीं रात भी कहते हैं। इसी रात में कुरान शरीफ नबी ए करीम पर उतारा गया। ये रात 30 हजार दिन के बराबर होती है। हम आपको 27वीं शब का पावरफुल वजीफा बता रहे हैं। रमजान की चौथी शबे कद्र में ये वजीफा (Ramzan ka Wazifa) करने के बाद आपको मौला की तरफ से खास रहमत से नवाजा जाएगा। खुद जिब्रील अमीन आपसे मुसाफा करेंगे यानी गले मिलेंगे। वजीफे को करने के लिए तहज्जुद के बाद फज्र की नमाज से पहले का वक्त बेहद सही रहेगा। दिल में नीयत रखे कि फरिश्ते आपको गले लगाकर अल्लाह की खास रहमत आपके सीने में उतार रहे हैं। इस वजीफे में आपको सूरह क़द्र का विर्द करना है जिसमें लैलतुल क़द्र की फजीलत बयान की गई है।
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ये वजीफा आपको रात के तीसरे पहर में शबे कद्र की नमाज के बाद करना है। इसमें अव्वल आखिर तीन बार दुरूद शरीफ के बाद 100 बार सूरह कद्र पढ़नी है। सूरह क़द्र यानी के इन्ना अन्ज्ल्नाहू फी लैलतिल क़द्र वाली सूरत आपको तीसवे पारे में मिल जाएगी। हाथों पर दम करके चेहरे पर अच्छे से फेर लेना है। इस सूरत की बरकत से अल्लाह तआला आपको 27वीं रात में शबे कद्र की सारी फजीलत अता फरमा देंगे। अगर आपको बड़ा दुरूद शरीफ याद न हो तो सबसे छोटा दरूदे पाक हुजूर का नाम यानी “सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम” पढ़ सकते हैं। वैसे दुरूदे इब्राहिमी पढ़ने का ज्यादा सवाब होता है। दुरूद की बरकत से वजीफा या दुआ आसमान में लटकता नहीं है बल्कि फौरन अर्श पर पहुंच जाता हैं। लैलतुल क़द्र में ये वजीफा औरों को भी बताएं।
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इन्ना अन्ज्ल्नाहू फी लैलतिल कद्री
व मा अद्रा क माँ लैल्तुल कद्र
लैलतुल कद्री खैरुम मिन् अल्फी शहर
त न्ज्ज्लुल मलाई कतु वारुर फिहा बी इजनी रब्बिहिम् मिन् कुल्लि अमरिन
सलामुन ही य हता मत लअिल फजर
बेशक हम ने कुरान को शबे क़द्र में नाजिल फ़रमाया है
और आप को मालूम है कि शबे क़द्र क्या है ?
शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है
इस रात में फ़रिश्ते रूहुल अमीन (जिबरईल अलैहिस सलाम) अपने रब के हर काम का हुक्म लेकर उतरते हैं
ये रात (सारापा) पूरी तरह सलामती है, जो सुबह फज्र होने तक रहती है
Innaa anzalnaahu fee lailatil qadr
Wa maa adraaka ma lailatul qadr
Lailatul qadri khairum min alfee shahr
Tanaz zalul malaa-ikatu war roohu feeha bi izni-rab bihim min kulli amr
Salaamun hiya hattaa mat la’il fajr
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सूरह क़द्र कुरान मजीद की 97वीं सूरत है। इसमें 5 आयते हैं। तीसवे पारे की ये सूरत कुरान की सबसे पावरफुल सूरत है। जिसमें खुद कुरान शरीफ के नाजिल होने का बयान किया गया है। इसमें शबे कद्र यानी लैलतुल कद्र के बारे में बताया गया है कि इस रात में ही कुरान का नुजूल हुआ है। इस रात में जिब्रील अमीन फरिश्तों की जमात के साथ सारी रात जमीन पर रहते हैं और अल्लाह के हु्क्म से खैर ओ बरकत तक्सीम करते हैं तथा जो बंदा इबादत जिक्र में मशगूल रहता है उसे गले से लगाते हैं। और फरिश्ते उसके लिए मगफिरत की दुआ करते हैं। जो मुसलमान इस रात में पूरी शिद्दत से इबादत करता है तो उसे 1000 महीने की इबादत यानी 83 साल और चार महीने की इबादत करने का सवाब मिलता है। उसके अगले पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।
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