ज्योतिष

सावन की कालाष्टमी पर होगी कालभैरव की कृपा, नोट करें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

Sawan Kalashtami 28 July 2024 : हिंदू पंचांग के अनुसार कालाष्टमी हर महीने की अष्ठमी तिथि को मनाई जाती है। अभी सावन का महीना चल रहा और इस महीने में आने वाली कालाष्टमी को अन्य से विशेष माना गया है। कालाष्टमी का पर्व भगवान कालभैरव के प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हिंदू लोग भगवान काल भैरव की पूजा करते है। मौजूदा सावन माह में कालाष्टमी 28 जुलाई 2024 रविवार को मनाई जा रही है। आज की पूजा से जीवन से कष्टों का नाश होता है। हिंदू धर्म में कालाष्टमी का पर्व बेहद शुभ माना गया हैं। चलिए जानते है श्रावण मास की कालाष्टमी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र।

कालाष्टमी शुभ मुहूर्त 28 जुलाई 2024
(Kalashtami Shubh Muhurat 2024)

हिंदू पंचांग के अनुसार कालाष्टमी प्रतिमाह कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाई जाती है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 27 जुलाई शनिवार रात 9 बजकर 19 मिनट पर होगी। वहीं इसका समापन 28 जुलाई रविवार शाम 7 बजकर 27 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए सावन महीने की कालाष्टमी 28 जुलाई 2024 को मनाई जायेगी। आज शुभ रवि योग का निर्माण भी हो रहा है, जो सुबह 5:40 बजे से दोपहर 1 बजे तक रहेगा।

कालाष्टमी पूजा विधि 28 जुलाई 2024
(Kalashtami Puja Vidhi July 2024)

  • – कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगाजल से स्नान करें।
  • – कालाष्टमी के दिन स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • – स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद मंदिर को साफ करें।
  • – इसके पश्चात एक वेदी पर भैरव बाबा की प्रतिमा स्थापित करें।
  • – अब कालभैरव की प्रतिमा पर पंचामृत से अभिषेक करें।
  • – अब प्रतिमा को साफ वस्त्र से पोंछे और सफेद चंदन से तिलक करें।
  • – पूजा में अब कालभैरव को इत्र लगाएं और फूलों की माला अर्पित करें।
  • – कालभैरव को अब फल, मिठाई, घर पर बने प्रसाद का भोग लगाएं।
  • – भगवान कालभैरव के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • – काल भैरव अष्टक का पाठ भाव के साथ पाठ और आरती करें।
  • – अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए भगवान कालभैरव से माफी मांगे।
  • – अगले दिन प्रसाद से अपना व्रत खोलें और जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं।

काल भैरव पूजन मंत्र
(Kaal Bhairav Pujan Mantra)

ओम भयहरणं च भैरव:
ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। MNI इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Aakash Agarawal

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