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Earth Day पर पृथ्वी की दर्दभरी पुकार सुन लीजिए, आंसू रुक नहीं पाएंगे

Earth Day Kavita 2024 : आज अर्थ डे यानी पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है। हर साल 22 अप्रैल के दिन को पृथ्वी दिवस यानी इंटनैशनल मदर अर्थ डे (International Mother Earth Day) के नाम से जाना जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद पर्यावरण को होने वाले खतरों के प्रति लोगों को जागरूक करना है और पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों की सोच बदलना है। आज धीरे धीरे पृथ्वी मर रही है। बेमौसम बारिश और कुदरती कहर ने इंसान को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर धरती पर हो रहे अंधाधुंध दोहन कब रुकेगा और कब ये आसमानी कहर थमेगा। दुबई में बारिश हम सबके लिए मिसाल है कि धरती अब थक चुकी है। इंसान को अब तो ठोस कदम उठाने ही पड़ेंगे। वरना धरती कयामत लाने में देर नहीं लगाएगी। हमारे शायर इरफान ने पृथ्वी की दर्दभरी पुकार को कविता (Earth Day Kavita 2024) का रूप देकर आपके लिए पेश किया है। इस कविता (Earth Day Kavita 2024) को वायरल करने में अपना कीमती सहयोग दें। ताकि धरती माता की पुकार हर बंदे तक पहुंच सके और वह पृथ्वी को बचाने की कोशिश में लग सके।

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पृथ्वी दिवस पर दर्दभरी कविता (Earth Day Kavita 2024)

“पृथ्वी की पुकार”

मैं पृथ्वी हूँ, सौरमण्डल का तीसरा ग्रह
लोग मुझे धरती कहते चाँद है मेरा उपग्रह

हमेशा सूर्य के चारों ओर घूमती हूँ, फिर भी स्थिर हूँ
अपने अक्ष पर झूमती हूँ, मौसम बदलने में माहिर हूँ

दिन-रात हरपहर, अपने काम के प्रति झुकाव है
मंगल-शुक्र पड़ोसी मेरे, न इनसे कोई टकराव है

वसुधा इला अंबरा धरा, मही भूमि धरणी अवनी
मेरे ही सब नाम हैं ये, मैं ही वसुंधरा मैं ही जननी

कुद्रत के अनमोल ख़ज़ाने, दफ़्न हैं मेरे सीने में
इंसान देता रहता है फिर भी, ज़ख्म मेरे सीने पे

नदियाँ पहाड़ झरने जंगल, वादियाँ समंदर फल और फूल
क्या-क्या नहीं मैंने दिया तुमको, क्या सब गए तुम भूल

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मुझे अर्थ कहने वाले तूने मेरे साथ हमेशा अनर्थ ही किया
कोंख को छलनी करके, प्राकृतिक आपदाओं का बर्थ किया

जब भी हद पार होती है गुस्सा मुझे तब आता है
यूँही तो नहीं बेवज़ह कभी, ज़लज़ला कोई आता है

मुझसे ही बने हो तुम, और तुमको मुझ में ही आकर मिलना है
फिर भी नहीं समझते हो, हमें इक दूसरे का ख्याल रखना है

माना कि इस कायनात में, और कोई नहीं है मेरे जैसा
पर जब मिटना है एक रोज तो खुद पर अभिमान कैसा

चाहे जितने दिन मना लो, पर अब तो अपनी गलती मानो
सुनकर ये पृथ्वी की पुकार, अर्थ को फिर से स्वर्ग बना दो।.

RockShayar Irfan Ali Khan
#ObjectOrientedPoems(OOPs)

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शायर साहब का तआरुफ़ (Intro of Our Poet)

पेशेवर राइटर होने के साथ ही इरफान अली एक शायर (Urdu Hindi Poet) भी है, गुलाबी नगरी जयपुर में रहते हैं और M.Tech (Electronics and Communication) किया हुआ है। Rockshayar के नाम से हिंदी उर्दू शायरी लिखते हैं। चट्टानों की तरह मजबूत शख़्सियत रॉकशायर जिसका वजूद अल्फ़ाज़ में नुमायां है। अब तक 5000 से भी ज्यादा नज़्में ग़ज़लें और शेर ओ शायरी आप लिख चुके हैं। इरफान साहब की शानदार शायरी का लुत्फ आप इनके ब्लॉग पर ले सकते हैं।

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