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21 April Phalodi Satta Bazar: सट्टा बाजार में मोदी के मंत्रियों के साथ पूर्व CM के बेटों के भविष्य पर खतरा, भाटी की जीत तय!

21 April Phalodi Satta Bazar: लोकसभा चनुावों के प्रथम चरण में राजस्थान की 12 सीटों पर हुए कम मतदान प्रतिशत ने बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है। अब नेता दूसरे चरण के प्रचार में जुट गए है तो सट्टा बाजार में भी 13 सीटों पर दिग्गज नेताओं को लेकर अपना भाव लगाना शुरू कर दिया है। इन 13 सीटों में मोदी सरकार के मंत्री के साथ पूर्व सीएम के बेटों का भविष्य भी दाव पर लगा हुआ है। अगर पहले चरण की तरह मतदान कम होता है तो यह बीजेपी के लिए बड़ा नुकसानदायक साबित हो सकता है।

बाड़मेर—जैसलमेर सीट

यह सीट सबसे ज्यादा चर्चा में बनी है और इसका कारण शिव ​से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और कांग्रेस के उम्मीदेराम भी भाटी के आगे टिक नहीं पा रहे है। लेकिन इसके बाद भी कैलाश चौधरी मोदी लहर के सहारे में ​जीत की उम्मदी लगाए बैठ है। लेकिन सट्टा बाजार की बात करें तो यह सीट भाटी के खाते में जाती दिख रही है और इस सीट का भाव 10 से 20 पैसे है।

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जोधपुर सीट पर कांटे की टक्कर

केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और कांग्रेस के करण सिंह के मध्य कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। यह सीट पूर्व सीएम अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र की है और इसी वजह से मुकाबला रोचक हो गया है।

जालोर-सिरोही सीट पर कड़ी टक्कर

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत और बीजेपी के लुंबाराम चौधरी के बीच में कड़ा मुकाबला है। दोनों नेता प्रचार में जुटे हुए हैं, लेकिन गहलोत का पूरा परिवार प्रचार में लगा हुआ है जो बहुत ज्यादा चर्चा में है।

झालावाड़ सीट पर राजे की प्रतिष्ठा दाव पर

झालावाड़ सीट पर पूर्व सीएम राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को कांग्रेस प्रत्याशी से कड़ी टक्कर ​मिल रही है। राजे इस बार चुनाव में ज्यादा सक्रीय नजर नहीं आई और इसका असर देखने को मिला है। लेकिन बीजेपी मोदी लहर के सहारे सभी सीटों पर जीत का दावा कर रही है।

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कोटा में रोचक हुआ मुकाबला

कोटा में इस बार मोदी की करीबी लोकसभा अध्यक्ष ओम​ बिरला को प्रहलाद गुंजल से कड़ी टक्कर मिल रही है। ओम बिरला को लेकर एक गजब का संयोग है जो उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। कहा जाता है कि लोकसभा अध्यक्ष दूसरी बार चुनाव लड़ता है तो उसको हार का सामना करना पड़ता है।

Narendra Singh

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