मासिक शिवरात्रि का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा की जाती है और विधिवत व्रत रखा जाता है। भोलेनाथ की पूजा करने के साथ ही शिवलिंग की पूजा करने के नियम भी अलग हैं जिनके अनुसार हमें भूल से भी कुछ चीजों को नहीं चढ़ाना चाहिए। चलिए जानते है-
तुलसी के बिना भगवान नारायण की पूजा संपन्न नहीं होती है। भूल से भी तुलसी को शिवलिंग पर अर्पित करना गलत है। तुलसी के पति जालंधर राक्षस का भगवान शिव ने वध किया था और तुलसी लक्ष्मी स्वरुपा भी हैं। इसलिए तुलसी का उपयोग कभी भी शिवलिंग पर नहीं करना चाहिए।
केतकी के फूल ने भगवान ब्रह्मा के कहने पर भगवान शंकर से झूठ बोला था। इस बात को लेकर भोलेनाथ को बहुत क्रोध आया था। उसके बाद भोले बाबा ने केतकी को यह श्राप दिया कि वे कभी भी भगवान शिव की पूजा में इस्तेमाल नहीं की जा सकेगी।
भगवान शिव को नारियल तो अर्पित किया जाता है, लेकिन नारियल के पानी से शिवलिंग अभिषेक करने से शिव नाराज होते हैं और आर्थिक नुकसान होता है।
देवी देवताओं का शंख से अभिषेक किया जा सकता है, लेकिन शिवलिंग पर शंख का अभिषेक वर्जित है। पूर्व काल में भगवान शंकर ने शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था। उसी राक्षस से शंख उत्पन्न हुआ था, जिसके बाद से ही शंख शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता है।
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टूटे हुए चावल शिवलिंग पर नहीं चढ़ाने चाहिए। ऐसा करने से शंकर भगवान रुष्ट हो जाते हैं। शिवलिंग की पूजा करते समय हमेशा पूरे चावल ही चढ़ाने चाहिए।
मान्यता है कि काला तिल भगवान विष्णु के मेल से उत्पन्न हुआ था इसलिए इसे शिवलिंग पर भूल से भी अर्पित नहीं करना चाहिए।
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सौंदर्य पदार्थों को भगवान शंकर ग्रहण नहीं करते हैं, इसलिए सिंदूर और हल्दी को शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए। श्रृंगार के सामान में शंकर भगवान पर केवल इत्र का प्रयोग किया जा सकता है। माता पार्वती की पूजा में हल्दी का उपयोग किया जा सकता है।
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