Aditya L1 Mission: भारत का सूर्य मिशन किस तरह संभव होगा? जिस सूरज की गर्मी को इंसान और उसके द्वारा बनाई गई कोई भी चीज सहन नहीं कर सकती तो फिर हमारा स्पेसक्राफ्ट Aditya L1 कैसे झेल सकेगा? ऐसे कई सवाल है, जो हर व्यक्ति के मन में इस तरह उठ रहे हैं। आज इन्ही सवालों के जवाब लेकर हम यह लेख लिख रहे है, जिसमें आपके मन में चल रही कई गुत्थियां सुलझ जाएंगी। चलिए एक नजर डालते है नीचे की तरफ लिखी जानकारी पर-
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सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी फोटोस्फेयर होता हैं, जिसका तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस तक होता है। उसके केंद्र का तापमान 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस अधिकतम होता है। इस वजह से इंसान द्वारा बनाये गए किसी भी स्पेसक्राफ्ट का वहां तक जाना संभव नहीं हैं। सूरज की गर्मी को बर्दाश्त कर सके, ऐसी कोई चीज इंसान आज तक तो नहीं बना पाया है। यही वजह है कि स्पेसक्राफ्ट को सूरज से एक उचित दूरी पर जाकर स्थापित किया जाएगा।
आदित्य-एल1 को वैज्ञानिकों द्वारा सूरज से एक उचित दूरी पर रखा जाएगा ताकि वह उसकी गर्मी को झेलने में समर्थ हो। यह दूरी उतनी होगी, जितने तक स्पेसक्राफ्ट ख़राब न हो और इसे किसी तरह की कोई क्षति न पहुंचे। आदित्य-एल1 को उसी चीज को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
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