Al Taqiyya in Islam : इस्लाम दुनिया का दूसरे नंबर का मजहब है। पैगंबरे इस्लाम ने मुसलमानों को इंसानियत सच्चाई और ईमानदारी से जिंदगी जीने का हुक्म दिया था। कुरान शरीफ में साफ तौर पर अल्लाह का फरमान है कि जिसने किसी बेगुनाह को कत्ल किया या सताया तो मानो उसने सारी इंसानियत का कत्ल कर दिया। हम आपको रमजान के पाकीजा महीने में इस्लाम की उस सच्चाई से रूबरू करवा रहे है जिसे जिहादियों ने गलत बातें बोल बोलकर सही साबित कर दिया है। दरअसल अल तकिया का मतलब (Al Taqiyya in Islam) किसी गलत चीज को तथ्यों के आधार पर सही साबित करना है। हम आपको आज अल तकैया की हकीकत से वाकिफ कराएंगे तथा कुरान और हदीस की रौशनी में कुछ अहम बातों पर गौर ओ फिक्र करेंगे। ताकि लोगों को हकीकत का इल्म हो सके। सिर्फ मौलाना साहब की बातों पर यकीन न किया करें बल्कि खुद कुरान मजीद और हदीस की रौशनी में उन मसाइल का हल तलाश करने की जद्दोजहद किया कीजे ताकि लोग आपका फायदा न उठा सकें।
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जिहादियों ने अल तकिया अवधारणा को जन्म दिया है। मतलब कि किसी भी नाजायज काम को जायज करार देना वो भी कुरान शरीफ के हवाले से। अरबों में इसे ही अल तकैया कहते हैं। यानी अपने फायदे के लिए किसी को धोखा देना, झूठ बोलना और बाद में यह कह देना कि ऐसा तो कुरान में लिखा है। तथाकथित दकियानूसी मुसलमानों की वजह से आम मुसलमान बदनाम होता है। ऐसे में हम सभी पढ़े लिखे मुसलमानों की ड्यूटी है कि हम बाकी लोगों को सही गलत का फर्क नबी के तरीके के अनुसार बताए। ताकि लोग जिहादी और सच्चे मुसलमान में फर्क कर सके।
कुरान मजीद अल्लाह की सबसे पवित्र किताब है जो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर रमजान के महीने में शबे कद्र की रात को नाजिल हुई थी। कलाम पाक में दुनिया के हर मसले का हल दिया गया है। मुसलमानों के लिए जिंदगी जीने के इस्लामी नियम जिन्हें शरीयत कहा जाता है कुरान के अनुसार ही बने होते हैं। लेकिन कुछ लोग अपने मतलब के लिए कुरान की आयतों का गलत मतलब निकालकर भोले भाले लोगों की भावनाओँ के साथ खेलते हैं। आतंकवादियों को यही कहा जाता है कि काफिरों की जान लो यही कुरान में लिखा है। जबकि असल में कुरान मजीद में ये लिखा है कि अगर किसी ने किसी बेगुनाह की जान ली तो गोया उसने सारी इंसानियत का कत्ल किया। कट्टरपंथी मानसिकता ने आम मुसलमानों का बहुत नुकसान किया है।
इस्लाम को अगर सही से समझा जाए तो ये अच्छे सुलूक और लोगों के साथ रहमदिली का मजहब है। कुराने पाक में अल्लाह तआला का इर्शाद है कि मोमिनों तुम जमीन वालों पर रहम करों, आसमान वाला तुम पर रहमत नाजिल करेगा। तो असल अल तकिया किसी को छल कपट या धोखा देने में नहीं है बल्कि किसी के मुश्किल वक्त में उसकी मदद करना है। किसी गरीब को खाना खिलाना है। किसी प्यासे को पानी पिलाना है। मां बाप की सेवा करना है। रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करना है। गैर मजहब वालों के साथ भाईचारे और हमदर्दी का रिश्ता रखना है।
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जो लोग खुद को जिहादी कहते हैं, दरअसल उन्हें जिहाद का सही मतलब भी नहीं पता होता है। कुराने पाक में लिखा है कि अपने अंदर की बुराई से लड़ना ही असल जिहाद है। कुरान कभी नहीं कहता कि गैर मुस्लिमों पर अत्याचार करों या काफिरों को बेवजह सताओं। बल्कि नबी ए करीम तो गैर मुस्लिमों से अच्छा सुलूक करने की नसीहत देते थे। इस्लाम के नाम पर जिहाद शब्द का बहुत गलत इस्तेमाल आए दिन होता रहता है। इन दिनों भारत में लोग लव जिहाद को लेकर चर्चा में रहते हैं। जबकि इस्लाम में ऐसा कुछ भी नहीं है, असल जिहाद समाज की बुराईयों को खत्म करने को कहा गया है।
जैसे कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोग, जिहादी आतंकवादी दहशतगर्द और मौलाना कुरान की तालीम को गलत रूप में बयान करके गलतफहमी फैलाते हैं। वैसे ही हम सब पढ़े लिखे काबिल मुसलमानों को चाहिए कि हम भी हिंदी में कुरान शरीफ की शिक्षाओं को आमजन तक पहुंचाने का काम करें। जब तक लोगों को सही तथ्य पता नहीं होंगे तब तक न जाने कितने भारतीय मुसलमान ऐसे ही तथाकथित धर्म के ठेकेदारों और मौलानाओँ का सॉफ्ट टारगेट होते रहेंगे। नबी ए करीम ने साफ फरमाया है कि अगर इल्म हासिल करने के लिए चीन भी जाना पड़े तो जाओ। लेकिन आज उनकी उम्मत इल्म से दूर होकर लोगों को मार रही है। खून खराबे को जिहाद का नाम देकर इस्लाम को बदनाम कर रही है।
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