जो घर पहुंच गया उसने चैन की सांस ली और जो शहर में अटक गया। उसके घर वाले तनाव की वजह से उस रोज चैन से पानी भी नहीं पी पाए। हां, वह शाम थी 13 मई 2008 की, सांझ ढल रही थी। कामगार, मजदूर वर्ग, महिलाएं, बच्चे अपने अपने घरों की ओर निकल पड़े थे। ऑफिस वाले अपने घरों का रास्ता देखने लगे थे। कोई सब्जी खरीद रहा था तो कोई शॉपिंग कर रहा था। इसी बीच कुछ श्रद्धालु मंदिर में दर्शनार्थ करने पहुंचे।
उस रोज मंगलवार का दिन था। जिससे हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। जयपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में काले हनुमान जी का मंदिर, चांदपोल के बालाजी, का मंदिर और अन्य कई मंदिर है। जहां शाम के वक्त अच्छी खासी भीड़ भाड़ रहती है।
लेकिन किसे पता था ? उस रोज किसी के घर का चिराग बुझ जाएगा कोई खून से लथपथ मिलेगा कोई उसे देखकर ही बेहोश हो जाएगा ? ऐसा ही हादसा हुआ जिसमें जयपुर वासियों का दिल दहला दिया। 13 मई 2008 परकोटे में 8 सीरियल ब्लास्ट हुए। जो मुख्य मंदिरों और बाजारों में हुए। जिसमें 71 लोगों की मृत्यु हुई, और कई घायल हुए।
कोर्ट में पिछले 15 सालों से लंबी सुनवाई चल रही थी जिसका नतीजा ऐसा आया। जिसने सभी शहर वासियों को स्तब्ध कर दिया। सुनवाई के बाद जिन आरोपियों को निचली अदालत में मृत्युदंड दिया था । उन्हें हाई कोर्ट से बरी कर दिया गया।
राजस्थान हाई कोर्ट
निचली सुनवाई के अगेंस्ट आरोपी उच्च अदालत में गए। जहां पर इन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। राजस्थान हाई कोर्ट के जज जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की डिविजन बेंच ने फैसला सुनाया। सबूतों के अभाव में कहे या सरकार की लापरवाही लेकिन जो निर्दोष मारे गए । क्या उन्हें न्याय मिला?
सवाल अभी बहुत बाकी है। जिन्हें तलाशा जाना जरूरी है।
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