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भारत में बकरा ईद का चांद कब दिखेगा, तारीख नोट कर लें

Eid ul Adha ka Chand : मुसलमानों के लिए साल में दो त्योहार बड़े माने जाते हैं। मीठी ईद रमजान के बाद हम मना चुके हैं। अब बारी बकरा ईद की है। जी हां, वही ईद उल अजहा या बकरीद जिस दिन हज होता है। इसी दिन मुस्लिम बंधु कुर्बानी अदा करते हैं। बकरीद के दिन हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत को जिंदा किया जाता है। तो इस पोस्ट में हम आपको भारत में बकरा ईद का चांद कब दिखेगा (Eid ul Adha ka Chand 2024) वो तारीख बताएंगे। अल्लाह हम सबको अपनी सबसे प्यारी चीज अल्लाह की राह में कुर्बान करने की तौफीक़ नसीब फरमाएं। आमीन सुम्माआमीन

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बकरा ईद का चांद कब दिखेगा (Moonsighting for Dhul-Hijjah 1445)

हिजरी कैलेंडर का अभी ग्यारहवा महीना जिल्काद चल रहा है। इसके बाद आखिरी महीना जिलहज्ज आता है। आज 5 जून 2024 को हिजरी कैलेंडर की जिल्काद महीने की 28वीं तारीख है। इस हिसाब से अगर चांद 29 की शाम यानी 6 जून की शाम को दिखता है तो हज के महीने की पहली तारीख 7 जून होगी, जिस हिसाब से दसवी तारीख को बकरा ईद यानी अंग्रेजी तारीख 16 जून को होगी। लेकिन ईद उल फितर के चांद के अनुसार भारत में चांद दिखने की संभावना 7 जून की शाम को है। इस हिसाब से भारत में बकरा ईद 17 जून 2024 को ही मनाई जा सकती है। बाकी अंतिम तिथि परसों 6 की शाम को चांद दिखने पर ही पता चलेगी।

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अरब दुबई खाड़ी देशों में कब दिखेगा चांद (Crescent Moon Eid ul Adha in Gulf)

चूंकि अरब देशों में अलग टाइम जोन की वजह से एक दिन पहले ही चांद नजर आ जाता है। ऐसे में अगर वहां चांद 5 जून की शाम को दिखता है तो भारत में अगले दिन 6 जून की शाम को चांद का दीदार हो सकता है। लेकिन खाड़ी देशों में ज्यादा संभावना 6 जून की शाम को चांद नजर आने की है। इस हिसाब से खाड़ी देशों में बकरीद 16 जून को मनाई जा सकती है। हज का कार्यक्रम 14 जून से 18 जून तक हो सकता है।

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बकरा ईद की क्यों मनाते हैं ? (Hsitory of Eid ul Adha)

बकरीद का त्योहार पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनके बेटे ईस्माइल अहेअलैहिस्सलाम की कुर्बानी की सु्न्नत को जिंदा करने के लिए मनाया जाता है। अल्लाह तआला का हुक्म हुआ था कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करो। अल्लाह के खलील हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम (Hsitory of Eid ul Adha) को 80 साल की उम्र में हजरत इस्माईल पैदा हुए थे। ऐसे में उनको जिब्ह करने का ख्याल दिल में लाना ही सबसे बड़ी कुर्बानी थी। अल्लाह तआला ने इस इम्तिहान में कामयाब होने पर इब्राहीम अलैहिस्सलाम को कहा कि आपकी ये सुन्नत कयामत तक आने वाली उम्मतें जिंदा रखेगी। केवल गोश्त खाना इस त्योहार का मकसद नहीं है। बल्कि अल्लाह की रज़ा के लिए अपनी सबसे महबूब चीज को कुर्बान करने का जज्बा दिल में पैदा हो सके इसके लिए ये ईद मनाई जाती है।

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