Eid ul Adha ki Mubarakbad : ईद का त्योहार आ रहा है। इस बार मीठी नहीं बल्कि बकरीद है। 17 जून को भारत में ईद उल अजहा (Eid Ul Adha 2024) मनाई जाएगी। ईद उल अजहा के मौके पर लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं और दिली मुबारकबाद पेश करते हैं। आजकल सोशल मीडिया के दौर में लोग मुबारक के संदेश मोबाइल पर फोटो के साथ भेजते हैं। हम आपको यहां पर बकरीद की मुबारकबाद शायराना अंदाज (Eid ul Adha ki Mubarakbad) में पेश करने के तरीके बता रहे हैं। उम्मीद है हमारे शायर इरफान (Eid ul Adha Mubarak by Rockshayar) की कलम से निकले ये अल्फ़ाज़ आपको पसंद आएंगे।
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1.
हो अगर ईमान, इब्राहीम जैसा आज भी
आग बन जाये गुलिस्तां, है ये वादा आज भी।
“ईद उल अज़हा मुबारक हो”
2.
कुर्बानी की ये अदा खुदा को पसंद आ जाएगी,
ऐ बंदे देखना एक दिन तेरी मेहनत रंग लाएगी।
“ईद उल अज़हा मुबारक हो”
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3.
बकरीद की खुशी में आप भी हो जाएं शामिल,
या खुदा हमको बना दे तू और ज्यादा काबिल।
“ईद उल अज़हा मुबारक हो”
4.
हज भी होगा और बेशक आज कुर्बानी भी होगी,
मैदाने अराफात में ईमान की वो निशानी भी होगी।
“ईद उल अज़हा मुबारक हो”
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5.
राहे खुदा में अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान कर दें,
काम कुछ ऐसा कर जा के जो देखें उसे हैरान कर दें।
“ईद उल अज़हा मुबारक हो”
पेशेवर राइटर होने के साथ ही इरफान अली एक शायर (Urdu Hindi Poet) भी है, गुलाबी नगरी जयपुर में रहते हैं और M.Tech (Electronics and Communication) किया हुआ है। Rockshayar के नाम से हिंदी उर्दू शायरी लिखते हैं। ज़िन्दगी की धूप में तपकर और 18 सालों का तजुर्बा हासिल करके इंजीनियरिंग लेक्चरर से लेकर बैंकर, फैक्ट्री मैनेजर और अब बतौर कंटेट राइटर इरफान अली अपने लाजवाब लफ़्ज़ों से लोगों को अपना बना रहे हैं।
ईद उल अज्हा का त्योहार पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनके बेटे ईस्माइल अहेअलैहिस्सलाम की कुर्बानी की सु्न्नत को जिंदा करने के लिए मनाया जाता है। अल्लाह तआला का हुक्म हुआ था कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करो। अल्लाह के खलील हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम (Hsitory of Eid ul Adha) को 80 साल की उम्र में हजरत इस्माईल पैदा हुए थे। ऐसे में उनको कुर्बान करने का ख्याल दिल में लाना ही सबसे बड़ी कुर्बानी थी। अल्लाह तआला ने इस इम्तिहान में कामयाब होने पर इब्राहीम अलैहिस्सलाम को कहा कि आपकी ये सुन्नत (Eid Ul Adha 2024 in Gulf) कयामत तक आने वाली नस्लें जिंदा रखेगी। अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हमारी कुर्बानी को कुबूल ओ मंज़ूर फरमाएं। आमीन, सुम्माआमीन।
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