कर्नाटक चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस लंबे समय से प्रचार में जुटी है। कुछ ही दिनों के बाद इलेक्शन हो जाएंगे और परिणाम सामने होगा। लेकिन चुनावों से पहले की टेंशन से बड़ी पार्टियों में भय का माहौल बना हुआ है। बात अगर सीधे-सीधे बीजेपी और कांग्रेस की होती तो कोई बात नहीं लेकिन इस बार अन्य राजनीतिक पार्टियों ने इन बड़ी पार्टियों के बीच रोड़ा पैदा कर दिया है।
छोटे दलों ने कर्नाटक चुनावों में बढ़ाई चिंता
इस बार कर्नाटक चुनावों में कई छोटी राजनीतिक पार्टियां भी अपनी किस्मत आजमाने में लगी हुई है। इन पार्टियों के शामिल होने से यह कहना आसान नहीं है कि ये वास्तव में अपनी पैठ जमाने के लिए ऐसा कर रही है या फिर केवल इन बड़ी पार्टियों के लिए टेंशन ही दे रही है। छोटे दल भाजपा,कांग्रेस और जेडीएस के चुनावी प्रचार को प्रभावित कर रहे हैं। इन पार्टियों ने बड़ी पार्टियों के सिर में बिना मतलब का दर्द दे दिया है। इन छोटे दलों ने बड़े राजनीतिक दलों के लिए चिंता बढ़ा दी है।
कौनसे है वो छोटे दल
कर्नाटक चुनावों में बीजेपी-कांग्रेस और जेडीएस के अलावा अगर हम बात करें तो इस बार आम आदमी पार्टी, बसपा,उत्तम प्रजाकिया पार्टी,वामपंथी दल,कर्नाटक राष्ट्र समिति,कल्याण राज्य प्रगति पक्ष जैसे छोटे दलों ने बड़ी संख्या में अपने प्रत्याशी उतारे हैं। इन दलों के जहां अब तक गिनती के पद होते हैं वहीं इस बार इनकी सीटों की संख्या बहुत अधिक है। आप पार्टी की पिछली बार केवल 28 सीटें थी वहीं इस बार 213 सीट पर लड़ रही है। बसपा भी पिछले चुनाव में जेडीएस के साथ थी लेकिन इस बार पार्टी अकेले 137 सीटों पर चुनाव लड़
रही है।
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