Free Electricity in Rajasthan: राजस्थान में भजनलाल सरकार पूर्ववर्ती सरकार के फैसले को लेकर रिव्यू करवा रही है और जिन योजनाओं के कारण सरकार को नुकसान हो रहा है उनको बंद करने का फैसला किया जा रहा है। पिछली सरकार में लंबे समय तक बिजली का संकट बना रहा था और इसके कारण सरकार को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। लेकिन गहलोत सरकार ने अपने वोट बैंक के लिए फ्री बिजली देने का वादा किया जो अब फिर से नई सरकार के लिए संकट बन गया है।
प्रदेश के सभी विद्युत वितरण निगम घाटे की समस्या से परेशान है और बिजली कंपनियां करोड़ से अधिक के घाटे में चल रही हैं। सरकार फ्री बिजली का तोहफा तो दे रही है लेकिन इसके कारण उस पर भार बढ़ता ही जा रहा है। इसी घाटे से बचने के लिए फ्री बिजली का तोहफा सरकार वापस ले सकती है जिसके कारण जनता को बड़ा झटका लग सकता है। राजस्थान में पूर्व की सरकार ने प्रदेश के घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं को बिल में जो राहत दी थी क्या वो राहत वापस ले ली जाएगी इसको लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। अगर इसे वापस लिया जाता है तो इसके बाद जनता की जेब पर असर पड़ेगा।
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राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने बिजली उपभोक्ताओं को प्रति माह 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया था। लेकिन इस ऐलान से प्रदेश के लोगों को काफी राहत मिली थी और सरकार को भी इसका चुनावों में फायदा मिला था। लेकिन इसके साथ ही बिजली कम्पनियों का संचित घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन अब इस पर खतरा मंडराने लगा है क्योंकि घाटे को कम करना भी जरूरी है।
-राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम- 14,137 करोड़ रुपए
-जयपुर विद्युत वितरण निगम- 29,318 करोड़ रुपए
-राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम- 1448 करोड़ रुपए
-अजमेर विद्युत वितरण निगम- 28,263 करोड़ रुपए
-जोधपुर विद्युत वितरण निगम- 34,488 करोड़ रुपए
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