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सरकारी नौकरी के लिए फिट नहीं प्रेग्नेंट महिलाएं, पढ़िए नया High Court Order

जयपुर। सरकारी नौकरी (High Court Order) के लिए प्रग्नेंट महिलाएं फिट नहीं होती हैं इसको लेकर हाईकोर्ट ने नया आदेश दिया है। दरअसल, यह मामला उत्तराखंड का है जहां हाईकोर्ट ने उस नियम को रद्द कर दिया जो गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) को सरकारी नौकरियों के लिए उपयुक्त मानने से मना करता है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मातृत्व कुदरत का वरदान और आशीर्वाद है, इस वजह से महिलाओं को रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट का यह फैसला मीशा उपाध्याय की याचिका पर दिया है। इसमें मीशा के की प्रेग्नेंसी की वजह से नैनीताल के बीडी पांडे अस्पताल में नर्सिंग अफसर के पद पर तैनाती देने से मना ​कर दिया गया था।

प्रेग्नेंट महिला नहीं कर सकती है सरकारी नौकरी

खबर है कि मीशा उपाध्याय को चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के महानिदेशक द्वारा ज्वाइनिंग लेटर जारी किए जाने के बावजूद, अस्पताल प्रशासन ने फिटनेस सर्टिफिकेट का हवाला देते हुए उनको ज्वाइनिंग देने से मना कर दिया। मीशा को मैनेजमेंट ने भारत सरकार के एक गजटरी नियम के अनुसार ज्वाइनिंग के लिए अस्थायी रूप से अयोग्य माना था। जबकि मीशा के प्रेग्नेंट होने के अलावा और कोई स्वास्थ्य संबंधी ​दिक्कत नहीं थी।

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संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 का उल्लंघन

उत्तराखंड हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज पुरोहित की सिंगल बेंच ने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिया कि वो तत्काल रूप से यह सुनिश्चित करें कि 13 सप्ताह की गर्भवती याचिकाकर्ता नर्सिंग अधिकारी मीशा तुरंत प्रभाव से अपनी नौकरी ज्वॉइन करे। हाईकोर्ट ने इस नियम को लेकर भारत के राजपत्र में दर्ज (असाधारण) नियमों पर भी गहरा रोष व्यक्त किया है। इस नियम में 12 सप्ताह से अधिक गर्भावस्था वाली महिलाओं को ‘अस्थायी रूप से अयोग्य’ के रूप में लेबल दर्शाया गया है। कोर्ट ने कहा है कि एक महिला को बस इस वजह से रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता; जैसा कि राज्य द्वारा बताया गया है। इस कठोर गजैटरी नियम की वजह से अब इस कार्य में और अधिक विलम्ब भी नहीं किया जा सकता। इसको निश्चित रूप से अनुच्छेद 14, 16 और 21 का उल्लंघन माना गया है।

मौलिक अधिकार है मातृत्व अवकाश

उत्तराखंड हाईकोर्ट (High Court Order) ने सरकारी नियम के तहत हुई राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई को संवैधानिक अनुच्छेद का उल्लंघन मानते हुए इसें महिलाओं के खिलाफ अत्यधिक संकीर्ण सोच वाला माना है। कोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि मातृत्व अवकाश संविधान के मौलिक अधिकार के रूप में मान्य है। गर्भावस्था के आधार पर किसी को रोजगार से रोकना एक विरोधाभास है। हाईकोर्ट ने कहा कि मान लीजिए कोई महिला नौकरी ज्वॉइन करती है और ज्वाइनिंग के बाद ही वो प्रेग्नेंट हो जाती है तब भी उसे मातृत्व अवकाश मिलता है, फिर एक गर्भवती महिला नई नियुक्ति पर अपनी ड्यूटी कैसे ज्वॉइन नहीं कर सकती?

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हाईकोर्ट के फैसले का हुआ स्वागत

हाईकोर्ट के इस फैसले का समाज के हर वर्ग और महिला संगठनों ने स्वागत किया है। कानूनी जानकारों के अनुसार यह आदेश अन्य राज्यों के लिए एक भी मिसाल बन सकता है। जिससें सरकारी नियम के तहत भविष्य में किसी और महिला के साथ उनकी गर्भावस्था की स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सके।

Anil Jangid

Anil Jangid डिजिटल कंटेट क्रिएटर के तौर पर 13 साल से अधिक समय का अनुभव रखते हैं। 10 साल से ज्यादा समय डिजिटल कंटेंट क्रिएटर के तौर राजस्थान पत्रिका, 3 साल से ज्यादा cardekho.com में दे चुके हैं। अब Morningnewsindia.com और Morningnewsindia.in के लिए डिजिटल विभाग संभाल रहे हैं।

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