Categories: भारत

उल्लास और उमंग का पर्व है होली

होली का पर्व।

होली हमारे देश में सनातन काल से मनाई जा रही है ।जिसके विभिन्न रूप और प्रमाण विद्यमान है। उल्लास और उमंगों से भरे इस पर्व की व्याख्या सुख सागर, भगवत पुराण, नारद पुराण तथा अनेक काव्यों, महाकाव्यों में भी मिलती है। जिसके अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा को भद्रारहित प्रदोष काल में होली प्रज्वलित की जाती है।

क्या है होली।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पिता-पुत्र हिरण्यकश्यप प्रहलाद की यह पावन कथा जो आज आधुनिक पीढ़ी के लिए सिर्फ कहानी बनकर रह गई है। मात्र कहानी नहीं है।

यह संकेत है।

सत्य की जीत का, सृष्टि के संचार का, सकारात्मक सोच का, संवेदनशीलता का, विश्वास और श्रद्धा का।

जब दुष्टता, बेईमानी चालाकी हारती है। तब निश्चलता, निष्कपटता, नम्रता विजयी होती है। विरह, वेदना और पीड़ा में भी विवेकशील, धैर्यवान बनाए रखने का जो साहस, सामर्थ्य सिखाती है वह है होली।

यही कारण है कि होली में होलिका का वरदान भी श्राप में बदल जाता है।

वही अग्नि का श्राप भी वरदान में बदल जाता है।

पंचतत्व में अग्नि की विशेषता कौन नहीं जानता?

किंतु जहां प्रेम, त्याग, समर्पण सर्वोच्च शिखर पर हो।

वहां ईश्वर को अवतरित होना ही पड़ता है।

अग्नि में तो स्वयं विष्णु का वास है। ऐसे में उस भक्त को कौन जला सकता है?

जो विष्णु का इतना बड़ा भक्त हो?

इसी अग्नि की प्रकाश पुंज स्वरूपा राधा रानी है ।

आरोग्य।

होली का पर्व ना सिर्फ हर्षोल्लास में वृद्धि करता है। अपितु होलिका दहन से वातावरण में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया भी समाप्त होते हैं।

इसी प्रकार होली की अग्नि में आहुत प्रदूषित विचार, मन को निर्मल और पवित्र करते हैं।

इस पावन पर्व पर हमें भी राग, द्वेष भूलकर निष्काम कर्म तथा त्याग की भावना से प्रेरित हो आगे बढ़ना चाहिए।

प्रेम में विरह।

होली ना केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है अपितु।

प्रकृति और पुरुष के सामंजस्य का पर्व है।

यह तो सभी संबंधों में प्रेम ,करुणा, त्याग और समर्पण का पर्व है।

बसंत की ऋतु में आने वाला यह पर्व भी अनोखी ही छटा बिखेर देता है।

इसी बसंत का वर्णन करते हुए कालिदास कामदेव को इसका प्रिय मित्र बताते हैं जिसके तीरों से कोई नहीं बच पाया।

पति-पत्नी, प्रेमी प्रेमिका के प्रेम और विरह का सुन्दर चित्रण है होली।

जहां प्रेम है वहां विरह भी है।

इसी संदर्भ में ब्रज बरसाना की होली जगजाहिर है। जहां भगवान *नरवपु में नर लीला करते हैं। कभी अपनी राधिका को फूलों से होली खिलाने वाले, छेड़खानी और नोकझोंक करने वाले श्री कृष्ण उन्हें छोड़कर द्वारका नगरी चले जाते हैं।

सालों तक उनकी सुध नहीं लेते और फिर पुनः लौट कर आते हैं।

तब विरह, विरक्त हो राधा रानी और गोपियां उनसे रुष्ट होकर नाना प्रकार की होली खेलती हैं। एक तरफ उनका उत्साह और उल्लास चरम पर होता है ।

दूसरी तरफ विरह का क्रोध भी। ऐसा लगता है। विरह की वेदना से ही बरसाना की होली का जन्म हुआ हो?

एक अन्य मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण को अपने सांवले रंग से शिकायत थी।

एक प्रसिद्ध भजन भी है।

जिसमें वे अक्सर मां से पूछते हैं। राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला।

यह सुन मां कहती है जा जाकर राधा को भी रंग दे। तभी से होली की शुरुआत हुई।

जहां भगवान की उस आनंद की प्रतिमूर्ति ही प्रेम विग्रह रूपा श्री राधारानी जी है।

रिश्तो में संतुलन और सामंजस्य का प्रतीक है होली।स्वयं के अभिमान ,अहंकार को होली की अग्नि में आहूत कर नव विचारों, सकारात्मक सोच की ओर आगे बढ़ना जैसे वृक्षों पर नई कोपल आ गई। होली की ही पहचान है।

टेसू के सुंदर फूलों का खिलना, अमलतास के झूमर का घूमना, अमराई का महकना और पक्षियों का कलरव। सब कुछ कितना मनोहर और सुंदर हो जाता है?

विशुद्ध प्रेम।

प्रेम परम विशुद्ध तथा परम उज्जवल है।

इसी प्रेम भक्ति का चरम स्वरूपा श्री राधा भाव है।

जहां मिलन और वियोग दोनों ही नित्य नवीन रस कृति में होते हैं ।

ऐसा प्रेम आज के युवा वर्ग को भी समझना चाहिए। इलोजी की अधुरी प्रेम कथा जिसका साक्षात उदाहरण है।

देह से परे आत्मा को समझना ही सच्ची होली है।

दहाई से इकाई बने तो इस प्रकार रहे। जैसे, मन के बहुतक रंग हैं। पल-पल बदले सोए, एक रंग में जो रहे ऐसा बिरला कोई ।

यही दांपत्य रति, पारिवारिक सुख का आधार है।

तभी जीवन के यह रंग रसोई में भी झलकेगे।

पीली, लाल, हरी बूंदियो से थाली सजेगी, गुझिया और गुलाब जामुन की महक उठेगी, कहीं रसमलाई तो कहीं ठंडाई बटेगी।

इन मिठाइयों के साथ ही नाना प्रकार की नमकीन, भुजिया, पकौड़ी मठरी घर की रसोई में उतरेंगी।

पूजन।

महिलाएं इस दिन व्रत और उपवास करती हैं‌। रोली, मोली, अक्षत, हल्दी की गांठ कच्चा सूत का धागा, गेहूं चना, जौ की बालियां, नाना प्रकार की मिठाई, होली के लिए बनाए बड़कुल्ले और सामग्री से उचित मुहूर्त में पूजा करती हैं।

डंप और चंग की ताल पर भजन, नाच, गान फाल्गुनी महोत्सव होते हैं।

भाईचारे और आपसी सौहार्द के इस त्योहार पर लोग एक दूसरे को रंगों से सरोबार कर देते हैं।

विकृत ना हो स्वरूप।

हर्ष और उल्लास के इस पर्व को आनंद और उमंग के एहसासों के साथ मनाएं।

सभ्य, संतुलित और सही तरीके से दूसरों के साथ पेश आए।

कुछ लोग इस दिन शराब, भांग, गांजा के सेवन के साथ जुआ भी खेलते हैं।

यह हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है।

होली अभद्रता, अश्लीलता ,उन्माद और उत्तेजना का पर्व नहीं है ।

अपनी सांस्कृतिक और गौरवपूर्ण परंपराओं को जीवंत रखते हुए संतुलित और भरपूर ऊर्जा के साथ सही तरीके से होली खेले।

गहरे और केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग ना करे।

प्राकृतिक ऑर्गेनिक रंगों का चयन करें।

होली के विभिन्न रूप।

होली का पर्व ना सिर्फ हमारे देश में अपितु विदेशों में भी मनाया जाता है।

वैसे हमारे देश में नाना प्रकार की होली प्रसिद्ध है।

बरसाना की लठमार होली। जिसमें पुरुष,कृष्ण रूप में नंद गांव से और राधा-रानी, गोपियां बरसाना से भाग लेकर होली खेलते हैं।

राजस्थान में भरतपुर जिले में भी ब्रज जैसी होली खेली जाती है।

महिलाएं रंग बिरंगे परिधानों से सुसज्जित होकर यहां होली खेलती है।

इसके अलावा जयपुर के गोविंद देव जी में फूलों की होली,बाड़मेर की पत्थर मार होली, अजमेर की कोडा मार होली, जोधपुर की रोने बिलखने वाली होली, करौली में लठमार होली और डूंगरपुर में रांड रमन की होली खास होलिया में आती है।

एक संदेश।

होली का त्यौहार आपसी भाईचारे, प्यार और अपनत्व का त्यौहार है।

इसे शराब, नशाखोरी, जुआ और हुड़दंग में खराब ना करें।

इसी के साथ साथ प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा भी हमारा दायित्व है। होली पर हरे भरे वृक्ष ना काटे, प्रकृति के अन्य जीव-जंतुओं को भी परेशान ना करें।

रंग, गुलाल सिर्फ इंसानों को लगाएं। पशु ,पक्षी ,जानवरों को नहीं।

नव संवत्सर के इस उत्सव की मूर्ति,अमूर्ति सांस्कृतिक और परंपरागत धरोहर को हमें सुरक्षित और संरक्षित, पोषित करना है।

Morning News India

Recent Posts

Hindi Diwas : हिंदी हमारी धरोहर, हमारा स्वाभिमान…

Hindi Diwas : जयपुर। हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के अवसर पर जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के स्कूल…

2 days ago

Rawat Public School प्रताप नगर के विद्यार्थी सी बी एस ई वेस्ट जोन योगासन में चैंपियन

रावत पब्लिक स्कूल प्रताप नगर के विद्यार्थियों ने नंदूबा इंग्लिश एकेडमी स्कूल,सूरत में आयोजित सी…

1 month ago

झोटवाड़ा में रक्तदान शिविर का आयोजन, 50 से अधिक यूनिट रक्त एकत्र

blood donation camp : जयपुर। झोटवाड़ा स्थित 'डॉ. पांडे ईएनटी सेंटर' ने 'स्वरूप फाउंडेशन डीके…

1 month ago

जयपुर का युवा बना रहा है भारत के सबसे वैज्ञानिक बेबी टॉय ब्रांड – LiLLBUD

IIT दिल्ली के पूर्व छात्रों अभिषेक शर्मा और अयुष बंसल द्वारा स्थापित, LiLLBUD 0–18 महीने…

3 months ago

लिवर की बीमारियों के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए पहले से सचेत रहना जरूरी

Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…

5 months ago

सोनिया गांधी व राहुल गांधी के खिलाफ ईडी चार्ज शीट पेश, विरोध में उतरी कांग्रेस का धरना प्रदर्शन

National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…

5 months ago