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‘भारत रत्न’ की तुलना में क्या है बांग्लादेश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार? पढ़े पूरी डिटेल्स

India and Bangladesh Highest Civilian Award Comparison: बांग्लादेश आरक्षण की आग में जल रहा है। पीएम शेख हसीना ने इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया है और भारत में अस्थायी शरण ले रखी है। अभी तय नहीं है कि वे भारत में रहेंगी या कहां जाएंगी, लेकिन यह स्पष्ट नजर आ रहा है कि 76 वर्षीय शेख हसीना अब बांग्लादेश तो वापस नहीं जाएंगी। लंबे अरसे से भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध (Bharat-Bangladesh Relations) काफी अच्छे रहे है।

राजनीतिक और व्यापारिक, लगभग हर मोर्चे पर दोनों देशों ने मजबूत पड़ोसी की तरह काम किया है। यही वजह है कि भारत के प्रति झुकाव रखने वाली शेख हसीना ने अपने करीब 15 साल के कार्यकाल में भारत को प्राथमिकता दी है। अभी के समय में बांग्लादेश का मुद्दा ज्वलंत है और पीड़ित बांग्लादेशी लोग मित्र भारत की तरफ उम्मीदों भरी नजर से देख रहे है। इसी कड़ी में जानते है बांग्लादेश और भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के बारे में पूरी जानकारी।

भारत रत्न -भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
(Bharat Ratna -Highest Civilian Award)

भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ है। यह देश के किसी भी नागरिक को दिया जा सकता है। बशर्तें उसने किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा या उच्चतम स्तर का प्रदर्शन किया हो। इस पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए जाति, व्यवसाय, पद, लिंग, या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।

भारत रत्न के लिए सिफारिशें प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति तक भेजी जाती है। नियमानुसार प्रतिवर्ष अधिकतम तीन लोगों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। इस पुरस्कार में व्यक्ति को एक सनद प्रमाण पत्र और एक पदक दिया जाता है। पदक के अग्र भाग पर ‘भारत रत्न’ और पीछे की तरफ़ ‘सत्यमेव जयते’ लिखा होता है। इसे गले में पहनने के लिए 2 इंच चौड़ा सफ़ेद रिबन भी लगा होता है। भारत रत्न पुरस्कृत व्यक्ति को कई और सरकारी सुविधाएं भी मिलती है।

स्वतंत्रता पुरस्कार -बांग्लादेश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
(Swatantrata Puraskar -Highest Civilian Award)

बांग्लादेश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘स्वतंत्रता पुरस्कार’ है। यह पुरस्कार बांग्लादेश के स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या में आयोजित एक समारोह में देश की सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार को देने की शुरुआत सन 1977 में की गई थी। यह हर साल मुक्ति युद्ध, भाषा आंदोलन, शिक्षा, साहित्य, पत्रकारिता, सार्वजनिक सेवा, विज्ञान प्रौद्योगिकी, चिकित्सा विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, संगीत, खेल आदि में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है।

Aakash Agarawal

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