Jangal me Aag : अक्सर आपने ये मुहावरा सुना ही होगा कि फलां बात जंगल की आग की तरह फैल गई। सदियों से इस्तेमाल हो रहे इस मुहावरे का मतलब भी आपको पता ही होगा। लेकिन यहां बात मुहावरे की नहीं है, असल आग की है। जंगल में लगी आग जिसे दावानल भी कहते हैं। आपने कई बार जगलों में आग लगने की खबरें सुनी होंगी। आज हम बात करेंगे कि आखिर जंगल में आग (Jangal me Aag) लगती कैसे है और इसे बुझाया कैसे जाता है। क्या वजह है कि विदेशी जंगलों में इतनी ज्यादा आग लगती है।
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सबसे पहला सवाल जो उठता है कि आखिर जंगल में आग लगती क्यों है। तो सामान्य विज्ञान देखे तो आग लगने के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है- ताप, ईंधन और ऑक्सीजन। इनमें से एक भी चीज अगर नहीं होगी तो आग नहीं लगेगी। इनमें ऑक्सीजन तो हमारे आसपास हवा में ही मौजूद है। पेड़ों की सूखी टहनियां और पत्ते ईंधन का काम करते हैं. वहीं एक छोटी सी चिंगारी हीट का काम कर सकती है। ज्यादातर आग (forest fire in hindi) गर्मी के मौसम में लगती है। इस मौसम में एक हल्की चिंगारी ही पूरे जंगल को आग की चपेट में लेने के लिए काफ़ी होती है। ये चिंगारी जंगलों से गुज़रने वाली ट्रेनों के पहियों से भी निकल सकती है और पेड़ों की टहनियों के आपस में रगड़ खाने से भी। सूरज की तेज़ किरणें भी कई बार आग का कारण बनती हैं।
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कई बार दावानल इंसानी लापरवाही के चलते भी लगती है। जैसे कैंप फायर, पटाखे और सिगरेट का जलता टुकड़ा। कई बार मौसम के बिगड़ने के चलते बिजली गिरने से भी जंगलों में आग (forest fire in hindi) लग सकती है। वैज्ञानिकों के हिसाब से जितनी ज्यादा गर्मी होती है उतनी ज्यादा बिजली गिरने की संभावना रहती है। गर्मी में पेड़ों की टहनियां और शाखाएं सूख जाती हैं, जो आसानी से आग पकड़ लेती हैं। एक बार आग लगने पर इसे हवा बढ़ावा देती है। अगर हवा तेज़ गति से चल रही है तो आग (forest fire causes) तेज़ी से फैलती है। जंगल में अगर ढलान है तो आग और प्रचंड रूप ले सकती है। आग पहले सूखी घास में फैलती है, फिर पेड़ों को और धीरे-धीरे आसपास के जानवरों और इंसानों तक को घेर लेती है।
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वैज्ञानिक बताते हैं कि जंगल में आग (Causes of Forest Fire) लगने की 95 फीसदी घटनाएं इंसानों की वजह से शुरू होती हैं। पिछले 35 सालों से ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जिसके लिए सीधे तौर पर इंसान जिम्मेदार हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि बढ़ती गर्मी ने ही जंगलों में आगजनी की घटनाओं को बढ़ाया है। कोयले, तेल और गैस के जलने से हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से जंगलों में आग का जोखिम 34 से 60 फीसदी तक बढ़ गया है। यही वजह है कि विदेशी जंगलों में आग बहुत ज्यादा और जल्दी लगती है।
इस भयानक आग की वजह (Forest Fire Solution) से जंगल में मौजूद पशु पक्षी पेड़ पौधे और अन्य जीवजंतु बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। धीरे धीरे ये विलुप्त होने लगते हैं। सबसे बड़ा खराब असर हमारे इकोलॉजिकल तंत्र पर पड़ रहा है। तो अगर हमें वक्त रहते अपने जंगलों को बचाना है तो अपने तौर-तरीके भी सुधारने होंगे जलवायु के प्रति अपनी जिम्मेदारी तय करनी होगी। वरना जंगल की आग कब बस्तियाँ जलाने लग जाएगी पता भी नहीं चलेगा।
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