Juma ko Humbistari : रमजानुल मुबारक का तीसरा जुम्मा मुबारक हो। अब बस अलविदा जुम्मा बाकी है जो 5 अप्रैल को आने वाला है। रमजान के महीने में हमने आपको हिंदी जबान में एक से बढ़कर एक इस्लामिक जानकारी मुहैया कराई है। इसके लिए हम रब्बे कायनात के शुक्रगुजार है कि उसने इस काम के लिए हमारा इंतख़ाब (चयन) किया। रमजान में हमबिस्तरी को लेकर हमने आपको जो मालूमात दी थी, उस पर आप लोगों की तरफ से काबिले तारीफ रेसपोंस मिला है। इसी वजह से हमने आज आपके लिए एक और जानकारी जुटाई है। जो कि हदीस से साबित है। जुम्मे के दिन हमबिस्तरी (Juma ko Humbistari) करना कैसा है, इस सवाल का जवाब आपको यहां मिलेगा। इस्लाम में बीवी के साथ सोहबत करने का भी एक सुन्नत तरीका है जिसको करने पर सवाब मिलता है।
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जुम्मे का दिन सप्ताह के सातों दिनो में सबसे अफ्जल और बढ़िया माना जाता है। मुसलमानों के लिए जुमे के दिन नहा धोकर इत्र लगाकर नये कपड़े पहनकर मस्जिद में नमाज अदा करने का हु्क्म है। वही औरतों के लिए घर पर ही जुमे की नमाज पढ़ने का हुक्म है। आपने कई लोगों से सुना होगा कि जुमे कि दिन या जुमेरात यानी गुरुवार की रात को बीवी के साथ हमबिस्तरी करने का बहुत सवाब है। नबी ए करीम का फरमान है कि जिस शख्स ने जुमेरात को हमबिस्तरी करने के बाद जनाबत का गुस्ल किया और जुमे की नमाज अदा की तो उसके लिए नेकियां हैं, और उसके अच्छी औलाद पैदा होगी।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इर्शाद है कि जिसने जुमा के दिन बीवी से हमबिस्तरी के बाद जनाबत का गुस्ल किया। फिर वह जुम्मे की नमाज़ के लिए गया तो गोया उसने एक ऊँट की क़ुर्बानी पेश की। और जो दूसरी घड़ी में गया तो उसने मानो दूसरे बड़े जानवर की क़ुर्बानी दी और जो तीसरी घड़ी में गया तो उसने गोया सींगदार मेंढे की क़ुर्बानी दी और जो चौथी घड़ी में गया उसने जैसे कि मुर्गी की क़ुर्बानी दी और जो पाँचवीं घड़ी में गया तो मानो उसने एक अण्डे की क़ुर्बानी पेश की। फिर जब इमाम खुत्बा पढ़ता है तो फरिश्ते उसे ध्यान से सुनते हैं। इस हदीस को सही बुख़ारी (हदीस संख्या: 841) और मुस्लिम (हदीस संख्या: 850) में उल्लेखित किया गया है।
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जुमे से रिलेटेड जो हदीसें हैं उनके मुताबिक जुमे के दिन स्नान करना यानी गुस्ल करना और साफ सफाई हासिल करना, खुश्बू इत्र सुरमा तेल लगाना, अच्छे कपड़े पहनना, सुकून के साथ चलते हुए मस्जिद जाना, मस्जिद में जाने के बाद अगली कतार में बैठने के लिए लोगों को कूद फांदकर नहीं जाना चाहिए। दो आदमियों के बीच अलगाव पैदा नहीं करना चाहिए। जुमे की रात को आप बीवी के साथ हमबिस्तर हो सकते हैं। इससे नेक औलाद पैदा होने के चांस बढ़ जाते हैं।
रोजे की हालत में बीवी के साथ सोहबत करने की मनाही है। रोजा टूट जाएगा। रोजा खोलने के बाद आप हमबिस्तरी कर सकते हैं। सोहबत के तुरंत बाद गुस्ल करना होगा। अगर किसी ने गलती से रोजे की हालत में बीवी के साथ हमबिस्तरी कर ली तो उसे कफ्फारा करना होगा। यानी 60 दिनों तक गरीबों को खाना खिलाना और 60 रोजे रखने होंगे।
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