इस समय कुत्ते के काटने के कारण गाजियाबाद में एक 14 वर्षीय बच्चे की मृत्यु का मामला गर्माया हुआ है। डॉक्टरों के अनुसार उसे रेबीज हो गया था और समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। आइए जानते हैं कि रैबीज क्या है और किस प्रकार यह कुत्ते के काटने से फैलती है और क्यों जानलेवा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष देश में 18 से 20 हजार लोगों की रेबीज के कारण मृत्यु होती है। इसमें से करीब 60 फीसदी मामलों में मरने वालों की उम्र 15 वर्ष से कम होती है।
रेबीज जानवरों में पाई जाने वाली बीमारी है। यदि रेबीज से पीड़ित जानवर किसी इंसान को काट लें तो उसे भी रेबीज हो जाती है। यह विषाणु जानवरों की लार में होता है औऱ लार के जरिए इंसान के ब्लड में चला जाता है जिसके बाद वह सीधा दिमाग पर हमला करता है और व्यक्ति की जान चली जाती है। रेबीज की बीमारी कुत्तों, बिल्लियों और बंदरों के काटने से फैलती है। यदि ये किसी दूसरे जानवर को काट लें तो उसे भी रेबीज हो जाएगी।
रेबीज के लक्षण आम तौर पर काटने के तुरंत बाद पता नहीं चलते वरन इनमें कई बार काफी ज्यादा समय लग जाता है। इसके आम लक्षणों में बुखार आना, तेज दर्द होना, थकावट होना, मांसपेशियों में जकड़न, चिड़चिड़ापन होना, कमजोरी होना, लकवा आना आदि हैं।
इस रोग का कोई इलाज नहीं है। फिर भी यदि समय रहते टीके लगवा लिए जाए तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है। इसके अलावा पालतू जानवरों को भी समय-समय पर वैक्सीन लगवानी चाहिए।
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