PM मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मालदीव इन दिनों बहुत ज्यादा चर्चा में है। मालदीव एक छोटा सा देश है जिसकी जनसंख्या भी लाखों में है लेकिन इसके बाद उसने ऐसा काम किया है जो अब उसके लिए बहुत बड़ा नुकसादयक साबित हो रहा है। पीएम मोदी पर गलत शब्द बोलने वाले सरकार के तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया है लेकिन विवाद अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। वहां की सरकार लगातार दोनों देशों की दोस्ती का हवाला देकर संबंध अच्छे करने का प्रयास कर रही है। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि मालदीव की इकनॉमी काफी हद तक Indian tourists पर निर्भर है और अब यह उसके लिए बड़ा परेशानी का कारण बन गया है।
कई बार इस बात का खुलासा हुआ हे कि इस देश में सुन्नी लोग रहते हैं। इसी वजह से यह हद से ज्यादा चरमपंथी देश है, यहां के लोगों का आतंकवादियों से लिए हमेशा से नरम रूख रहा। बताया जाता है कि किसी समय बौद्ध आबादी वाला ये देश तेजी से मुस्लिम आबादी में बदला गया। आज की बात करें तो यंहा नॉन-मुस्लिम लोगों को नागरिकता देने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है।
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बौद्ध धर्म यंहा का प्रमुख धर्म था लेकिन समय के साथ वह खत्म होता चला गया। 50 से ज्यादा द्वीपों पर बौद्ध स्तूप मिलते हैं, लेकिन इनको नष्ट कर दिया गया है या तोड़े जा चुके है। आखिरी बौद्ध राजा धोवेमी ने इस्लाम अपना लिया और उनका नाम पड़ा- मुहम्मद इब्न अब्दुल्ला पड़ गया।
इस देश में अब 98 प्रतिशत मुस्लिम है और बाकी 2 प्रतिशत अन्य धर्म हैं। लेकिन उन्हें अपने धार्मिक पर्व को मानने या पब्लिक में त्योहार मनाने की छूट नहीं है। अगर किसी को मालदीव की नागरिकता चाहिए तो उसे मुस्लिम धर्म अपनाना होगा, वो भी सुन्नी मुस्लिम। भारतीय लोग रहते है लेकिन या तो वे इस्लाम अपना चुके, या फिर अपना धर्म किसी को नहीं बताते हैं।
इस देश के बारे में यह मान्यता है कि सबसे ज्यादा युवा इस्लामिक स्टेट के लिए लड़ने जाते हैं। 2014 से लेकर 2018 तक सैकडों युवा ISIS में भर्ती के लिए सीरिया चले गए थे। ये जनसंख्या के हिसाब से दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या वाले युवा थे। इनमें से काफी लोग मारे जा चुके है और मालदीव की सरकार ने उन्हें वापस लाने के लिए नेशनल रीइंटीग्रेशन सेंटर बनाकर उनको रख रही है।
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मालदीव शहर इस्लामिक चरमपंथियों का गढ़ बन चुका और यह देश लगातार ISIS की विचारधारा पर काम कर रहा है। यहां कई एक्सट्रीमिस्ट गुट काम करते हैं, जिनका सीधा सपोर्ट अफगानिस्तान स्थित ISIS से है। युवाओं के दिमाग में जहर भरकर उन्हें भड़काना और फिर उकनो आंतकवादी बनाना इसका काम है।
कुडा हेनवीरू (Kuda Henveyru) नाम के संगठन का काम ISIS के लिए फंड जमा करना है। इस देश की ज्यादातर कंपनियों पर इस्लामिक चरमपंथियों का कब्जा है। यूएस ने अड्डू शहर के लीडरों पर इस्लामिक स्टेट से संबंध का आरोप लगाते हुए उन पर रोक लगाने का फैसला किया था।
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