मोदी सरकार ने देशभर मे मौजूद शत्रु संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार को उम्मीद है कि इन संपत्तियों को बेच कर करीब एक लाख करोड़ रुपए की एक्स्ट्रा इनकम अर्जित होगी। प्रोपर्टी बेचने की शुरूआत यूपी के अमरोहा, मुजफ्फरनगर और अलीगढ़ में मौजूद शत्रु संपत्तियों से होगी। वर्तमान में इन सभी की निगरानी और देखरेख का कार्य केन्द्र सरकार का गृह विभाग कर रहा है।
सामान्य भाषा में शत्रु संपत्ति उन लोगों की प्रोपर्टी को कहा जाता है जो देश छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए हैं। इनमें से बहुत से लोग आजादी के वक्त गए थे। जबकि कुछ लोग 1962 और 1965 की जंग के बाद देश छोड़ गए थे। इन्हें शत्रु संपत्ति मान कर सरकार इन्हें अपने कब्जे में ले लेती है।
वर्ष 2020 में देश के गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई। इस कमेटी ने देश भर में करीब 9406 शत्रु संपत्तियों की पहचान की जिनकी कुल कीमत करीब एक लाख करोड़ रुपए आंकी गई। बाद में इस लिस्ट का विस्तार करते हुए इसमें 3000 संपत्तियां और जोड़ी गई। शत्रु संपत्ति में गोल्ड, ज्वैलरी और शेयर को भी गिना जाता है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा शत्रु संपत्तियां उत्तरप्रदेश में हैं। इसके अलावा मेघालय, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में भी काफी शत्रु संपत्तियां है। आजादी के समय देश के बंटवारे के समय काफी लोग यूपी से पाकिस्तान चले गए थे। इसी प्रकार बांग्लादेश के निर्माण के समय और भारत-चीन युद्ध के समय भी काफी लोग बांग्लादेश और चीन चले गए थे। उन सभी की प्रोपर्टीज को शत्रु संपत्ति माना जाता है।
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