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Morarji Desai Urine Story: लंबी उम्र के लिए खुद का मूत्र पीते थे यह भारतीय पीएम, जानें पूरी कहानी

Morarji Desai Urine Story: भारतीय राजनीति से जुड़े कई ऐसे राज है जिनके बारे में आम जनता बहुत कम जानती है और अपने आप को पीएम या सीएम बनाने के चक्कर में नेताओं ने सारी हदे पार कर दी। ऐसी ही एक कहानी भारतीय पीएम से जुड़ी है जिन्होंने कई बार पीएम बनने का अवसर मिला लेकिन इसके बाद भी उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई और हर बार उनको साइड लाईन करके दूसरे नेता को पीएम बनाया जाता था। लेकिन जैसे ही उनको पीएम बनने का मौका मिला तो उन्होंने ऐसे फैसले किए जो आज भी चर्चा में बने रहते है।

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मोरारजी देसाई का PM बनने का ख्वाब

उन्होंने नेहरू और शास्त्री के निधन के बाद मोरारजी देसाई को कार्यवाहक पीएम पद की जिम्मेदारी मिली लेकिन उनका सपना स्वतंत्र पीएम बनने था। मौका आया जब आपातकाल के बाद इंदिरा की हार हुई तो आम चुनाव में विपक्षी नेताओं को कुल 345 सीटें मिली और देश में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनने का मौका आया। लेकिन PM पद के लिए मुख्य रूप से मोरारजी देसाई, बाबू जगजीवन राम, चौधरी चरण सिंह और चन्द्रशेखर में टक्कर होने लगी।

नेहरू का असली उत्तराधिकारी

जवाहरलाल नेहरू का असली उत्तराधिकारी मोरारजी खुद को मानते थे। 1974 के बाद से मोरारजी और जेपी ने इंदिरा गांधी को हराने के लिए एक होकर चुनाव लड़ा। इसके बाद उनको दो बार कार्यवाहक पीएम भी बनाया गया लेकिन कांग्रेस के नेता उनकी जगह दूसरे नेताओं को मौका दिया।

मीडिया से कहा- मैं अपना मूत्र पीता हूं

मोरारजी देसाई ने स्वमूत्र आंदोलन चलाया था और इसका मतलब था कि वे अपना मूत्र पीते थे। उनका दावा था कि ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है। जब उनसे एक पत्रकार ने उनकी सेहत का राज पूछा तो उन्होंने बताया की वह फलों और सब्जियों के रस, ताजा और प्राकृतिक दूध, सादा दही का इस्तेमाल करते है। इसके बाद उन्होंने बताया कि वे रोज करीब 100 ग्राम अपना ही मूत्र पीते हैं जो सहेत के लिए बहुत ही अच्छा होता है।

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उन्होंने कहा कि खुद का मूत्र पीना एक नेचर थैरेपी है जो वह करते है। जानवर भी खुद का मूत्र पीते हैं और सेहतमंद रहते हैं। हिंदू दर्शन में गाय के मूत्र को पवित्र बताया गया है और लोगों को इसे पीना चाहिए। जब इसके बारे में छापा गया तो पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हुई। मोरारजी देसाई ने 2 साल 126 दिन प्रधानमंत्री के रूप में काम किया, लेकिन समर्थन वापस लेने के कारण उनकी सरकार गिर गई।

Narendra Singh

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