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गेहूं, चावल और चीनी खाना छोड़ दो, बाजरा खाओ निरोगी बन जाओ

Mota Anaj Khaye : एक पुरानी कहावत है पहला सुख निरोगी काया। यानी अगर आप स्वस्थ हैं तो फिर आप कुछ भी कर सकते हैं, हमारे बुजुर्गों ने कहा है तंदुरुस्ती हजार नियामत। लेकिन मौजूदा भाग दौड़ वाले दौर में खानपान सही नहीं होने की वजह से कई बीमारियां बढ़ रही है। एक रिसर्च में सामने आया है कि चावल चीनी और गेहूं के ज्यादा उपयोग की वजह से ही सबसे ज्यादा बीमारियां फैल रही है। अगर उनकी जगह बाजरे का उपयोग (Mota Anaj Khaye) किया जाए तो बहुत सी बीमारियां कम हो सकती है। तो चलिए कौन है वो बंदा जो ये बात कर रहा है और जिसने रिसर्च करके बाजरे की अहमियत को पहचाना है।

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मिलेट मैन ऑफ इंडिया कौन है ?

आज के इस नूडल वाले दौर में चावल शक्कर गेहूं नहीं बल्कि बाजरा खाए, ये बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि “मिलेट मैन ऑफ इंडिया” (Millet Man of India Dr. Khader Vali) के नाम से मशहूर डॉ खादर वली कह रहे हैं। वैज्ञानिक, खाद्य विशेषज्ञ और प्रतिष्ठित पद्मश्री और कृषिरत्न पुरस्कारों से सम्मानित डॉ. खादर वली ने लुप्त हो रही बाजरा की पांच किस्मों को पुनर्जीवित किया है और स्वस्थ और रोगग्रस्त लोगों के लिए खाद्यान्नों में विविधता वापस लाने के लिए 20 से अधिक वर्षों से काम कर रहे हैं। साल 2023 को यूएनओ के द्वारा मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया गया है।

मोटा अनाज बाजरा खाए और मस्त रहे (Mota Anaj Khaye)

डॉ. वली (Millet Man of India Dr. Khader Vali) ने कहा, “यह एक तरह की विडंबना है कि पेटेंट के नाम पर दुनिया भर के किसानों के बीज और बीज के अधिकार छीन लिए गए हैं और हम तथाकथित बुद्धिजीवियों को खाद्य सुरक्षा के बारे में चर्चा में भाग लेते देखते रहते हैं।” साथ ही हम जो खाना खा रहे हैं वह हमारा असली खाना नहीं है। इन दिनों हमारा अधिकांश भोजन चावल, गेहूं और चीनी से बना है, जो हमारे शरीर में ग्लूकोज की एकाग्रता को परेशान करता है, जिसे मैं ‘ग्लूकोज असंतुलन’ कहता हूं, हमारे रक्त को गाढ़ा करता है, और हृदय और उसके बाद, सभी अंगों को प्रभावित करता है। और फिर भी, मानव स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभाव और आधुनिक बीमारियों की तेजी से वृद्धि के बारे में दुनिया में कहीं भी कोई सवाल नहीं पूछा जाता है। जबकि मोटा अनाज जैसे ज्वार बाजरा गरीबों का खाना बन चुका है। 

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गेहूं चावल और चीनी खाना छोड़ दीजिए (rice wheat sugar ke nuksan in hindi)

बाजरे का महत्व ऐसे ही नहीं है। इसे लेकर कई रिसर्च हुए हैं जिसमें यह साबित हुआ है कि कम पानी में उगने वाले इस मोटे अनाज में कई ऐसी खूबियां है जो न केवल हमारा स्वास्थ्य सही रखती है बल्कि पर्यावरण के संतुलन को भी बनाए रखने में मददगार है। बाजरा के स्वास्थ्य पहलुओं पर विस्तार से बताते हुए, डॉ. खादर वली (Millet Man of India Dr. Khader Vali) ने कहा, “जब तक चावल और गेहूं (rice wheat sugar ke nuksan in hindi) हमारी थाली में दैनिक आधार पर नहीं आते थे, किसी को भी उच्च रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, थायराइड, फैटी लीवर आदि जैसी बीमारियाँ नहीं होती थीं क्योंकि वे सभी अंगों तक कुशलतापूर्वक पहुंचने के लिए हमारे रक्त को गाढ़ा बनाएं। दूध की जरूरत भी सभी लोगों को हर समय नहीं होती है। चीनी हमारे शरीर के लिए सबसे हानिकारक है और हमें इसकी एक मिलीग्राम भी मात्रा नहीं खानी चाहिए।

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हमारा शरीर मोटे अनाज के लिए बना है (Mota Anaj Khane ke Fayde)

समय के साथ बढ़ी कई आधुनिक/जीवनशैली बीमारियाँ पिछले 100 वर्षों में हमारे द्वारा चुने गए खान-पान और दवाओं के अनावश्यक उपयोग का परिणाम हैं। ये बीमारियाँ पहले इसलिए नहीं होती थीं क्योंकि मनुष्य बाजरा खाते (Mota Anaj Khane ke Fayde) थे, जो हमारे खून को पतला रखता है जिससे वह शरीर के सभी अंगों में आसानी से पहुँच जाता है। इसकी समृद्ध प्राकृतिक फाइबर सामग्री हमारे माइटोकॉन्ड्रिया को अनावश्यक ग्लूकोज जलाने में मदद करती है; और अंततः, हमारे आंत के रोगाणु संक्रमणों के विरुद्ध अधिक प्रतिरक्षा प्रदान करते हैं। स्वस्थ शरीर के लिए, प्रत्येक कोशिका को दैनिक आधार पर डिटॉक्स करना पड़ता है। और इसलिए, बाजरा आपके खून में सभी प्रकार की बीमारियों को खत्म करने के लिए एक अद्भुत हथियार बन जाता है। यदि आपका भोजन सही है, तो किसी दवा की आवश्यकता नहीं है। अगर आपका खान-पान गलत है तो कोई भी दवा काम नहीं करेगी, और सही भोजन बाजरा है।

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