Categories: भारत

मोदी की मन की बात जनमानस को क्यों भायी? क्या यह डिजिटल पंचायती राज का रूप है?

मन की बात आज 30 अप्रैल 2023 मन की बात के 2000 घंटे पूरे हो चुके। साथ ही पूरा हो चुका एक शतक। 3 अक्टूबर 2014 से शुरू हुआ सफर "मन की बात, का अब तक क्या रहा इसका सफरनामा? 

क्यों कर रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी मन की बात ?

मन की बात कर लेने से मन कुछ हल्का हो जाता है। मन की बात प्रधानमंत्री मोदी की रेडियो के माध्यम से जनसाधारण तक पहुंच का एक माध्यम बन चुकी है। मोदी के मुताबिक मन की बात हर नागरिक को प्रधानमंत्री के रेडियो संबोधन के माध्यम से जुड़ने, सहभागी और सुझाव देने का एक जरिया बन चुकी है। यह एक ऐसा प्रोग्राम है। जिससे एक आम इंसान भी खास स्थान पर बैठे व्यक्ति से जुड़ सकता है।

यह प्रोग्राम बिल्कुल वैसे ही है। जैसे पंचायती राज की स्थापना की गई। अर्थात बॉटम टू टॉप अप्रोच को अपनाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात को लोकप्रिय और जन हितेषी बनाया। इसी के माध्यम से परंपरागत रेडियो जो कि विलुप्त प्राय हो चुका है। अब नए सिरे से लोगों के बीच आया। जिसमें लोगों ने रुचि और जागरूकता का अनुभव किया।
 

क्या है विशेष इसमें

मन की बात की पहुंच अब दूर-दूर तक पहुंच चुकी है। 2021 में संसद के एक अधिवेशन के दौरान सूचना प्रसारण मंत्रालय ने बताया कि 34 डिडी चैनल के अलावा लगभग 91 निजी सैटेलाइट टीवी चैनल पूरे भारत में इस रेडियो कार्यक्रम का प्रसारण करते हैं। यही नहीं इसके दर्शकों की संख्या भी निरंतर बड़ी है। 2020 तक इसमें 11.8 करोड़ दर्शकों की संख्या और 14.3 करोड़ रिच हासिल की है। इस व्यापक प्रचार-प्रसार का श्रेय मोदी को ही जाता है। इस समय इसके 1.609 फॉलोअर्स है।

मन की बात के लिए प्रसार भारती 51 भाषाओं और बोलियों में इसका अनुवाद और पुनः प्रसारण करता है। टि्वटर हैंडल पर भी मन की बात के लगभग 58,000 ट्वीट  किए जा चुके हैं। वह भी आज की तारीख में। इतना ही नहीं इसके लिए अलग-अलग भाषाओं में एक्सेस करने के लिए डेडीकेटेड यूट्यूब चैनल भी बनाए गए हैं। जिनके फॉलोअर्स की संख्या भी अच्छी खासी है।
 

विपक्ष ने मोदी पर लगाया था आरोप

मन की बात पर हुए खर्चे को लेकर विपक्ष ने संसद में बहुत बार मोदी को घेरा था। एक आरटीआई भी लगी थी। उस से प्राप्त जानकारी के आधार पर मन की बात कार्यक्रम के विज्ञापन और प्रचार प्रसार पर जो राशि खर्च हुई ।उसकी तुलना में उससे होने वाली कमाई 5 गुना रही है। इस दौरान 2014 से 2022 तक इसके प्रमोशन पर करीब 7.29 करोड रुपए खर्च हुए, वही 33. 16 करोड रुपए की कमाई भी हुई है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो प्रिंट मीडिया, रेडियो, टेलीविजन और डिजिटल मीडिया में पिछले 3 वर्षों में किसी भी तरह के प्रचार पर कोई खर्च नहीं हुआ है ।यह शुन्य रहा।

क्या फायदे हुए इसके?

इतना ही नहीं इससे स्वच्छ भारत मिशन और आजादी के अमृत महोत्सव को भी बल मिला। गांधी के सपने पंचायती राज को भी इसने सार्थक किया। मोदी ने कहा चलते रहो चलते रहो अर्थात चरैवेती,चरैवेति, चरैवेति। ग्रामीण भारत की परिकल्पना और वोकल फोर लोकल को सार्थक करती हुई। मन की बात ने आज अपना 100वा  एपिसोड पूरा किया।

Morning News India

Recent Posts

लिवर की बीमारियों के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए पहले से सचेत रहना जरूरी

Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…

2 सप्ताह ago

सोनिया गांधी व राहुल गांधी के खिलाफ ईडी चार्ज शीट पेश, विरोध में उतरी कांग्रेस का धरना प्रदर्शन

National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…

2 सप्ताह ago

राहोली में हनुमान जयंती का आयोजन! बच्चों ने बजरंगी बन मोहा सबका मन

Hanuman Jayanti : राहोली पंचायत के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में हनुमान जयंती के अवसर…

3 सप्ताह ago

जयपुर में अतिक्रमण पर चला बुलडोजर, बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा भिड़े अधिकारियों से

Jaipur Bulldozer Action: जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से 9 अप्रैल को अतिक्रमण के खिलाफ…

3 सप्ताह ago

No Shop, No Staff, No Investment: Saumic Craft Business Model Explain

Starting a business usually means spending money on a shop, hiring staff, buying stock, and…

3 सप्ताह ago

सीएम भजनलाल शर्मा का बड़ा ऐलान! धरातल पर लागू होगा जनजाति समाज का पेसा एक्ट

PESA Act : जयपुर। जनजातियों की रक्षा करने वाला विश्व के सबसे बड़े संगठन अखिल…

3 सप्ताह ago