press freedom day 2024 : मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, इससे समझा जा सकता है कि मीडिया कितना अहम फील्ड है। पत्रकारिता बहुत जोखिम भरा पेशा है। दुनियाभर में आए दिन पत्रकारों पर जानलेवा हमले होते रहते हैं। मीडिया के महत्व और इस पेशे के खतरों को देखते हुए हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। आज अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस है। यह दिन दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व को उजागर करने और पत्रकारों को उनके काम में आने वाली चुनौतियों पर ध्यान देने का अवसर है। इसी क्रम में आइए जानते हैं कि ऐसे कौन से कवि थे जो पत्रकार (press freedom day 2024) भी थे। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024 की थीम “ए प्रेस फॉर द प्लैनेट: जर्नलिज्म इन द फेस ऑफ द एनवायर्नमेंटल क्राइसिस” है। यूनेस्को हर साल ये थीम प्रदान करता है।
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हिम-तरंगिणी लिखने वाले महान कविराज माखनलाल चतुर्वेदी एक कवि होने के साथ- साथ एक काबिल पत्रकार भी थे। उन्हें साहित्य अकादमी से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी यह रचना लोगों को मुंह ज़ुबानी याद है।
चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ।
कविवर रघुवीर सहाय साप्ताहिक पत्रिका दिनमान के संपादक थे। उन्हें उनके काव्य संग्रह लोग भूल गए हैं के लिए साहित्य अकादमी से सम्मानित किया गया था। उनकी लिखी एक कविता
अरे अब ऐसी कविता लिखो
कि जिसमें छंद घूमकर आय
घुमड़ता जाय देह में दर्द
कहीं पर एक बार ठहराय
कि जिसमें एक प्रतिज्ञा करूं
वही दो बार शब्द बन जाय
बताऊँ बार-बार वह अर्थ
न भाषा अपने को दोहराय
धर्मवीर भारती ये नाम आज भी किसी पहचान का मोहताज नहीं है। उस समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक धर्मवीर भारती एक शानदार पत्रकार थे। उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है लेकिन इसके अलावा भी उन्होंने कई कविताएं लिखी हैं।
अज्ञेय जिनको कई लोग गुमनाम कवि भी कहते हैं। वे नवभारत टाइम्स के प्रधान संपादक के तौर पर काम कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने दिनमान का संपादन भी किया। उनकी लिखी कविता
यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता पर
इसको भी पंक्ति को दे दो
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इतिहास गवाह है कि ऐसे कई पत्रकार रहे हैं जो शानदार कवि बनकर उभरे हैं। यानी पत्रकारिता और साहित्य (press freedom day 2024) का चोली दामन का साथ है, इसलिए हमें चाहिए कि समाज में कवियों को संरक्षित रखें ताकि पत्रकारिता हमेशा जिंदा रहे। क्योंकि कलम का सिपाही जब तक महफूज है तब तक इंसानियत महफूज है।
हमें प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने और पत्रकारों को उनके काम में आने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए अपनी आवाज़ उठानी चाहिए। हमें उन पत्रकारों का समर्थन करना चाहिए जो सच्चे मुद्दों पर बेबाक रिपोर्टिंग (press freedom day 2024) कर रहे हैं और हमें उनके काम को बढ़ावा देना चाहिए। हमें यह भी सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए कि पत्रकारों को बिना किसी डर या पक्षपात के अपनी रिपोर्टिंग करने के लिए आवश्यक सुरक्षा और समर्थन प्राप्त हो। केवल यूट्यूबर बनने से काम नहीं चलेगा सच्ची कलम रूह की स्याही से चलती है।
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