राहुल गांधी की मेंबरशिप रद्द करने के बाद सभी मन में सवाल उठ रहे हैं कि अब राहुल गांधी क्या करेंगे। क्या उनके पास कोई ऐसे विकल्प मौजूद है जिनसे वो फिर से अपनी सदस्यता पा लें या फिर कुछ ऐसा करें जिससे वो चुनाव लड़ने के लिए योग्य हो जाएं। तो यहां आपको कुछ ऐसे ही महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में बता रहे हैं जिनसे जिनसे आप जान सकते हैं कि राहुल गांधी किस तरह अपने इस कठिन समय को आसान बना सकते हैं। तो चलिए…
1. राहुल गांधी अब सूरत कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकते हैं। क्योंकि राष्ट्रपति को ही अधिकार है कि वह किसी सांसद को अयोग्य घोषित करें। भारतीय संविधान में लिखा गया है कि अगर किसी के अधिकारों का हनन होता है तो वह संवैधानिक कोर्ट में जा सकते हैं।
2. अगर हाइकोर्ट राहुल गांधी की सजा को 2 साल से कम करता है तो राहुल अपनी सीट बचा सकते हैं और वापस चुनाव लड़ने के लिए भी योग्य हो सकते हैं।
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3. राहुल गांधी स्पीकर के ऑर्डर को हाई कोर्ट में भी चैलेंज कर सकते है।
4. अगर राहुल गांधी सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ सेशंस कोर्ट जाते हैं और वहां से उन्हें राहत मिलती है तो उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा।
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5. अगर दोषसिद्धी पर रोक लगती है तो भी राहुल गांधी की सदस्यता बच सकती है।
6. अगर उपचुनाव होता है तो हाइकोर्ट में जाकर संसदीय सीट पर उस पर रोक लगा सकते हैं।
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7. राहुल गांधी वायनाड से सांसद थे। उनकी सदस्यता रद्द होने के बाद वहां की सीट खाली हो गई है। ऐसे में अब इलेक्शन कमीशन यहां पर चुनाव करवाने की घोषणा कर सकती है
8. राहुल गांधी की दो साल की सजा पूरी होने के बाद भी जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते। अगर यह फैसला जारी रहता है तो राहुल 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
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9. राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त होते ही विपक्षी नेता पीएम पद की उम्मीदवारी के लिए तैयार हो रहे हैं। इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव का नाम सामने आ रहा है।
10. अब राहुल गांधी के पास 30 दिन का समय है। अगर इन 30 दिनों में राहुल सूरत कोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दें तो वो बच सकते हैं। सीआरपीसी की धारा 374 सजा के खिलाफ अपील का प्रावधान देती है। अगर राहुल गांधी इन सारी बातों को सोचकर देखें तो उनकी मेंबरशिप फिर से मिल सकती है।
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