जयपुर। केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मानहानि मामले में सूरत की सेशन कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई है. हालांकि, कोर्ट ने उन्हें को जमानत भी दे दी है, ताकि वो अपर कोर्ट में अपील कर सकें. अब इस सजा के बाद उनकी संसद की सदस्यता पर संकट गहरा गया है. हालांकि, आज से ठीक 10 साल पहले राहुल ने अपने पैर कुल्हाड़ी नहीं मारी होती तो आज वो इस समस्या से बच जाते. जी हां, 2013 में राहुल ने मनमोहन सिंह सरकार में कुछ ऐसा कर दिया था जो आज उनके लिए मुसीबत बन चुका है. तो आइए जानिए हैं इन 5 बिंदुओं में…
1. क्या होता है जनप्रतिनिध कानून
आपको बता दें कि भारत के जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार यदि सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा) रद्द हो जाएगी. इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे. अब राहुल गांधी की यह सजा बरकरार रहती है उसके साथ ही ऐसा ही होगा और अगले 6 साल के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
2. राहुल ने मनमोहन सरकार में लिया था पंगा
आपको बता दें कि 2013 के सितंबर महीने में यूपीए सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया था. इसका उद्देश्य उसी साल जुलाई महीने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को निष्क्रिय करना था, जिसमें अदालत ने कहा था कि दोषी पाए जाने पर सांसदों और विधायकों की
3. फाड़ फेंका खुद की सरकार का अध्यादेश
कांग्रेस द्वारा इस अध्यादेश को लाए जाने पर बीजेपी, लेफ्ट समेत कई विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस पर जमकर हमला करना शुरू कर दिया. लेकिन राहुल गांधी पार्टी की कॉन्फ्रेंस में पहुंचे और उन्होंने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि ये अध्यादेश पूरी तरह बकवास है और इसे फाड़कर फेंक दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था.
4. राहुल गांधी ने ये कहा था
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा था कि हमें राजनीतिक कारणों की वजह से अध्यादेश लाने की जरूरत है. हर कोई यही करता है. कांग्रेस, बीजेपी, जनता दल सभी यही करते हैं, लेकिन ये सब अब बंद होना चाहिए. अगर हम इस देश में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं, तो हम सभी को ऐसे छोटे समझौते बंद करने पड़ेंगे. कांग्रेस पार्टी जो कर रही है उसमें मेरी दिलचस्पी है, हमारी सरकार जो कर रही है, उसमें मेरी दिलचस्पी है और मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इस अध्यादेश के संबंध में हमारी सरकार ने जो किया है वो गलत है.
5. UPA सरकार को वापस लेना पड़ा अध्यादेश
आपको बता दें कि कांग्रेस की ओर से जब ये प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका के दौरे पर थे. इस घटना के बाद राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर अपना पक्ष रखा था. बाद में अक्टूबर महीने में तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस अध्यादेश को वापस ले लिया था. लेकिन आज वो कानून होता तो राहुल गांधी बच जाते.
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