Categories: भारत

राजस्थान के सबसे छोटे कारसेवक को मां बोली ‘जा बेटा’, आचार्य धर्मेंद्र ने मंच से पुकारा टोंक के लोकेन्द्र सिंह नरूका का नाम

जयपुर। राममंदिर आंदोलन के कारसेवकों में राजस्थान के टोंक जिला के उनियारा ठिकाने के बाल कारसेवक रामभक्त (Bal Karsevak Rambhakat) लोकेंद्र सिंह नरूका (Lokendra Singh Naruka Uniara Tonk) का नाम गर्व से लिया जाता है। मात्र 9 वर्ष की आयु में लोकेंद्र सिंह नरूका पिता बलभद्र सिंह नरूका (BalBhadra Singh Naruka) के साथ 6 दिसंबर 1992 की कारसेवा में अयोध्या (Karseva Ayodhya) पहुंचे थे। लोकेंद्र  सिंह नरूका ने 1992 की कारसेवा में जाने के अपने  संस्मरण के बारे में इतिहासकार व शिक्षाविद डॉ. योगेन्द्र सिंह नरूका'फुलेता' को बताया की दिसंबर 1992 में मेरी आयु मात्र नौ वर्ष थी तथा मैं कक्षा 4 में पढ़ता था। उस समय में नियमित संघ की शाखा भी जाता था। राममंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) की जानकारी मुझे अच्छे से थी क्योंकि उस समय घर पर पांचजन्य अखबार साप्ताहिक आता था। 1990 से 1992 के दौरान पांचजन्य अखबार में राम जन्म भूमि आंदोलन की प्रमुख खबरें नियमित रूप से आया करती थी। उन खबरों को पढ़कर राम मंदिर आंदोलन की जानकारी तो थी साथ में मेरे मन में अयोध्या जाने का भाव जग चुका था।

 

राम मंदिर आंदोलन आंदोलन का भाषण सुनकर मन बना

उस समय राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) के प्रमुख नेता माननीय अशोक सिंहल, साध्वी ऋतंभरा, आचार्य धर्मेंद्र महाराज के भाषणों की कैसेट सुना करते थे। 1990–1992 के बीच उनियारा के बीच बाजार में आचार्य धर्मेंद्र जी महाराज (Acharya Dharmendra JI Maharaj) की धर्म सभा हुई थी उस रात्रि की धर्म सभा में उनका भाषण सुना था। मैं उनके भाषणों से भी बहुत प्रभावित रहा था। उस समय के राम मंदिर आंदोलन के वातावरण का प्रभाव मन पर था।

 

यह भी पढ़ें : टोंक के हनोतिया के भवानी सिंह राजावत और ओम बिड़ला ने साथ की थी कारसेवा, देखें तस्वीरें

 

मां ने तिलक लगाकर किया विदा

1 दिसंबर 1992 का वह दिन जब पिताजी बलभद्र सिंह नरूका और स्व. बाबूलाल जैन, स्व. घनश्याम शर्मा (डाबला वाले) तीनों अयोध्या जाने से पूर्व माताजी से तिलक निकलवा रहे थे तीन होने के कारण संख्या अशुभ थी इसलिए चौथ में खड़ा हो गया और मेरे भी तिलक निकल गया। उसके पश्चात चारभुजा जी के मंदिर में सभी कारसेवक व जनता एकत्र हुई थी वहीं पर किसी बंधु ने मेरे गले में भगवा दुपट्टा डाल दिया। अब मन में अयोध्या जाने का भाव और जाग गया। चारभुजा जी के मंदिर से कारसेवकों का समूह रवाना हुआ ।बैंड बाजे  के साथ उस समूह में मैं भी रवाना हुआ बीच रास्ते से निकलकर घर पर आया माता जी के पैर छुए और कहां की मैं अयोध्या जा रहा हूं माता जी ने कहा ठीक है जा अयोध्या।

 

छोटे बच्चे ने की कारसेवा की जिद

कारसेवकों का समूह उनियारा बस स्टैंड (Uniara Bus Stand) पर पहुंचा वहां धर्म सभा हुई। जब उनियारा से सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन पर कारसेवक जा रहे थे तब मैंने मेरे पिताजी से कहा कि मुझे अयोध्या जाना है तो उनका कहना था की तू बहुत छोटा है वहां बच्चे नहीं जा सकते मैने जिद करी पिताजी ने मना किया तो मैने कह दिया की मुझे अयोध्या नहीं लेकर जाएंगे तो उनियारा के कुएं में खुद कर अपनी जान दे दूंगा मेरी बात को उन्होंने गंभीरता से लिया उनको लगा कि पता नहीं क्या कर देगा बच्चा इसलिए वह मुझे अपने साथ सवाई माधोपुर ले गए। सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन पर माधोपुर जिले के व टोंक जिले के कारसेवक रवाना होकर लखनऊ जाने वाले थे।

 

यह भी पढ़ें : भगवान श्रीराम का वंशज है टोंक के फुलेता ठिकाने का नरूका राजवंश

 

राजस्थान का सबसे छोटा कारसेवक चला आगे

उनियारा से छोड़ने आए हुए कार्यकर्ताओं से पिताजी ने कहा कि इसको यहां से उनियारा ले जाओ लेकिन मैंने उस समय कहा कि पिताजी यदि आप मुझे नहीं लेकर जाओगे तो मैं रेल के ट्रेन के आगे कट मर जाऊंगा मुझे अयोध्या जाना है। पिताजी ने कहा वहां अयोध्या में गोली चल सकती है मर सकता है तो मैंने कहा वहां तो बाद में मरूंगा पहले मैं यहां ट्रेन से कटकर मर जाऊंगा। मुझे कारसेवा में जाना है पिताजी ने मेरी बात को मान ली और मुझे अपने साथ कारसेवा में ले गए। उस समूह में मैं सबसे छोटा कारसेवक (Sabse Chota Karsevak) था। घर से ऐसे ही पैंट, शर्ट, चप्पल पहने, एक स्वेटर कंधे (Karsevak Dress) पर डाले हुए में अयोध्या के लिए रवाना हुआ था लखनऊ पहुंचकर मुझे जूते दिलाए गए पैर में पहनने के लिए 2 दिसंबर को मैं अयोध्या पहुंचा।

 

कारसेवा में भरे मंच से गूंजा लोकेंद्र सिंह नरूका का नाम

लाखों की संख्या में कारसेवक देशभर से आए हुए थे हर तरफ जय श्री राम के नारे (Jai Shri Ram Chanting) गूंज रहे थे पूरे अयोध्या में माइक सिस्टम लगा हुआ था। जिससे अनाउंस होता रहता था। आगामी सूचना मिलती रहती थी। हमको सरस्वती शिशु मंदिर तुलसी उद्यान अयोध्या में ठहराया गया। 2 दिसंबर शाम को ही बाबरी ढांचे के सामने धर्म सभा चल रही थी उसे भीड़ में अपने समूह से छूट गया और खो गया। सभा खत्म होने के बाद मैं अकेला रह गया उस समय में मंच पर पहुंचा वहां पर आचार्य धर्मेंद्र उपस्थित थे। उनसे कहा कि मैं उनियारा से आया हुआ हूं और मैं खो गया हूं। आचार्य धर्मेंद्र उनियारा को जानते थे। उन्होंने माइक से अनाउंस किया राजस्थान टोंक जिले के उनियारा ठिकाने से आए लोकेंद्र सिंह को मंच से प्राप्त करें। पूरे अयोध्या के 5 किलोमीटर क्षेत्र के अंदर माइक लगे हुए थे। कार्यकर्ताओं  ने जब आवाज सुनी तो सब मुझे मंच पर लेने के लिए पहुंचे।

 

यह भी पढ़ें : 22 जनवरी को जयपुर में रहेगा अवकाश, होगी भजन और सजावट प्रतियोगिता

 

कंधे पर ​बैठा दिखाई देता राजस्थान का कारसेवक

रोज प्रतिदिन दोपहर में अयोध्या में धर्म सभा (Ayodhya Dharma Sabha) हुआ करती थी कभी अशोक सिंहल, कभी उमा भारती, कभी साध्वी ऋतंभरा तो कभी आचार्य धर्मेंद्र के ओजस्वी भाषण होते थे। मैं छोटे बालक के रूप में हर किसी के कंधे पर दिखाई देता था या मेरा हाथ दुपट्टे से दूसरे कार्यकर्ता से बांध दिया जाता था ताकि मैं खो नही जाऊं रोज सुबह सरयू नदी में स्नान करने जाया करते थे बाद में वहां  की योजना अनुसार भोजन की व्यवस्था रहती थी। 6 दिसंबर को कारसेवा होने वाली थी। मैं भी 6 दिसंबर को कारसेवा का साक्षी बना। 6 दिसंबर को ढांचा ढहते हुए मैंने अपनी आंखों से देखा और उस समय मन में संकल्प किया था कि दोबारा भगवान श्रीराम का मंदिर  बनने पर अयोध्या आऊंगा।

 

सबसे छोटे कारसेवक का सबसे बड़ा स्वागत

7 दिसंबर को प्रांत अनुसार प्रत्येक प्रांत को कारसेवा के लिए बुलाया गया। ढांचे का मलबा हट गया था अब अस्थाई मंदिर का निर्माण किया गया और सबका उसमें योगदान करवाया गया। मैने  भी अस्थाई मंदिर में ईट चुनी। पूरी अयोध्या प्रसन्नता से नाच रही थी कि 500 वर्ष पुराना बाबरी ढांचा टूट गया। भारत के माथे से कलंक हट गया था। अब भव्य श्रीराम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण होगा ऐसा निश्चित हो गया था। 9 दिसंबर को हम वापस राजस्थान के लिए रवाना हुए। 10 दिसंबर को उनियारा पहुंचे पूरे उनियारा के अंदर प्रसन्नता का माहौल था बड़ा भव्य स्वागत किया गया। कारसेवकों मे विशेष कर मेरा स्वागत जोरदार हुआ था क्योंकि उस समय मैं सबसे छोटा कारसेवक था।

 

लोकेंद्र सिंह नरूका ने रामभक्त से राष्ट्रभक्त की यात्रा

रामभक्त से राष्ट्रभक्त की यात्रा में लोकेंद्र सिंह नरूका 15 वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे (प्रचारक के नाते में सीकर व भरतपुर विभाग प्रचारक) अभी वर्तमान में स्वदेशी जागरण मंच मे जयपुर प्रांत सह संयोजक एवं स्वावलंबी भारत अभियान जयपुर प्रांत के समन्वयक के द्वारा राष्ट्र सेवा में अनवरत लगे हुए हैं। आने वाली 22 जनवरी हर सनातनी हर एक रामभक्त का अयोध्या में श्रीराम मंदिर (Shri Ram Mandir) बनने का स्वप्न साकार हो रहा है।

Anil Jangid

Anil Jangid डिजिटल कंटेट क्रिएटर के तौर पर 13 साल से अधिक समय का अनुभव रखते हैं। 10 साल से ज्यादा समय डिजिटल कंटेंट क्रिएटर के तौर राजस्थान पत्रिका, 3 साल से ज्यादा cardekho.com में दे चुके हैं। अब Morningnewsindia.com और Morningnewsindia.in के लिए डिजिटल विभाग संभाल रहे हैं।

Recent Posts

Hindi Diwas : हिंदी हमारी धरोहर, हमारा स्वाभिमान…

Hindi Diwas : जयपुर। हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के अवसर पर जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के स्कूल…

2 days ago

Rawat Public School प्रताप नगर के विद्यार्थी सी बी एस ई वेस्ट जोन योगासन में चैंपियन

रावत पब्लिक स्कूल प्रताप नगर के विद्यार्थियों ने नंदूबा इंग्लिश एकेडमी स्कूल,सूरत में आयोजित सी…

1 month ago

झोटवाड़ा में रक्तदान शिविर का आयोजन, 50 से अधिक यूनिट रक्त एकत्र

blood donation camp : जयपुर। झोटवाड़ा स्थित 'डॉ. पांडे ईएनटी सेंटर' ने 'स्वरूप फाउंडेशन डीके…

1 month ago

जयपुर का युवा बना रहा है भारत के सबसे वैज्ञानिक बेबी टॉय ब्रांड – LiLLBUD

IIT दिल्ली के पूर्व छात्रों अभिषेक शर्मा और अयुष बंसल द्वारा स्थापित, LiLLBUD 0–18 महीने…

3 months ago

लिवर की बीमारियों के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए पहले से सचेत रहना जरूरी

Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…

5 months ago

सोनिया गांधी व राहुल गांधी के खिलाफ ईडी चार्ज शीट पेश, विरोध में उतरी कांग्रेस का धरना प्रदर्शन

National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…

5 months ago