Ramadan Facts: इन दिनों सारे आलम में रमज़ान का मुक़द्दस महीना चल रहा है। मुसलमान इन दिनों रोजा रखकर, नमाज पढ़कर कुरआन शरीफ की तिलावत करके अल्लाह को राज़ी करने में मसरूफ है। इस्लाम में हर बालिग बंदे पर रोजे फर्ज हैं। यानी बिना किसी खास वजह के रोजा छोड़ना काफी बड़ा गुनाह माना गया है। रोजा रखने से न केवल सेहत को फायदा होता है, बल्कि मोमिन तकवा और परहेजगार बनता है। हालांकि इस्लाम में कुछ विशेष परिस्थितियों (Ramadan Facts) में लोगों को रोजा रखने से छूट भी दी गई है। खास बात ये है कि ऐसे लोगों पर रोजा छोड़ने का गुनाह भी नहीं होता है। हालांकि जैसे ही हालात सामान्य होंगे तो इन लोगों को कज़ा रोजे या कफ्फारा अदा करके छूटे गए रोजो की भरपाई करनी होगी। चलिए हम आपको इस अहम मसअले से रूबरू करवा देते हैं।
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1. अगर कोई सफर में हो तो उसे रोजा रखने की छूट है, लेकिन उसे बाद में कज़ा रोजा रखना पड़ेगा।
2. अगर ऐसा लगे कि रोजा रखने से बीमारी बढ़ सकती है, तो आपको रोजा नहीं रखना चाहिए।
3. अगर मरीज बीमारी से बाहर आ गया है, लेकिन उसे खौफ है कि रोजा रखने से बीमारी लौट आएगी तो ऐसे बंदे के लिए रोजा न रखना जायज है।
4. औरतों और लड़कियों के पीरियड यानी माहवारी शुरू हो गई है, तो उसके बंद होने तक रोजे की छूट होती है। मासिक धर्म से निपटने के बाद वह बदले में कज़ा रोजा रख सकती है।
5. किसी हामिला यानी गर्भवती औरत या बच्चे को दूध पिलाने वाली औरत को रोजा रखने की छूट है। इसके बदले वह बाद में कजा रोजा रख सकती है।
6. हदीस से साबित है कि अगर किसी ने सफर या बीमारी के कारण रोजा छोड़ा और फिर बीमारी या यात्रा के दौरान ही उसकी मौत हो गई तो, मरने के बाद आखिरत में उससे उस रोजे का कोई हिसाब किताब नहीं होगा।
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7. अगर कोई इंसान इतना बूढ़ा या जईफ़ हो, जिसमें रोजा रखने की ताकत ही न हो तो ऐसे बंदे के लिए रोजा छोड़ना सही है। बस उसे रोजाना किसी भूखे और गरीब इंसान को खाना खिलाना है जिससे उसके रोजे की अदायगी हो जाएगी।
8. ऐसा कोई शख्स जो बहुत शारीरिक ताकत वाला काम करता हो, लगातार यात्रा करता है। जैसे रेल, बस, ट्रक का चालक या कोई और पेशेवर जिसके लिए रोजा रखना और ड्यूटी करना मुश्किल हो रहा हो, वह लोग बाद में कजा रोजे रख सकते हैं।
9. अगर कोई शख्स पागल, मजनू या दीवाना हो जाए तो उस पर रोजा फर्ज नहीं है। यानी कोई बंदा किसी वजह से अपना होश-ओ-हवास खो दे तो उस पर रमजान फर्ज नहीं है।
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