Ramzan me Fitra : रमज़ान के पवित्र महीने में मुस्लिम बंधु जमकर इलाही को राजी करने में जुटे हुए हैं। रमजान का तीसरा अशरा आज शाम से शुरु हो जाएगा। यानी अब केवल दस दिन के रोजे और बाकी है। इसके बाद ईद का चांद भारत में 10 अप्रैल को नजर आ सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ईद की नमाज से पहले हर मुस्लिम को एक काम (Ramzan me Fitra) करना जरूरी होता है वरना उसकी ईद की नमाज कुबूल नहीं होती है। जकात और फितरा अदा करने के बाद ही आप ईद की नमाज पढ़ सकते हैं। जकात केवल मालदार के लिए हैं, लेकिन फितरा हर मुसलमान के लिए अदा करना वाजिब है। तो चलिए रमजान के महीने में फितरा कैसे अदा करें और किसे दे इस बारे में जान लेते हैं।
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फितरा हर मुसलमान को देना वाजिब है, जिसे रमज़ान के महीने में ईद से पहले अदा करना जरुरी है। वरना आपकी ईद की नमाज नहीं होगी। आपको बस 1 किलो 633 ग्राम गेहूं या 1 किलो गेहूं की कीमत किसी गरीब को देनी है। इसी को फितरा (Ramzan me Fitra) देना कहते हैं। हालांकि 1 किलो 633 ग्राम गेहूं की कीमत बाजार के मौजूदा भाव के आधार पर तय की जाती है। नाबालिग बच्चों की तरफ से उनके मां बाप को फितरा देना होता है। फितरा देने का मकसद ये है कि इससे तमाम गरीब मुसलमान अपनी ईद अच्छी तरह से मना सकते हैं।
फितरा (Ramzan me Fitra) वो रकम होती है जो खाते-पीते, संपन्न घर के लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को ईद की नमाज से पहले अदा करते हैं। फितरे की रकम गरीबों, विधवाओं और अनाथ बच्चों और सभी जरूरतमंदों को दी जा सकती है। लेकिन गेहूं के अलावा आप खजूर और किशमिश की मौजूदा बाजार कीमत के आधार पर भी फितरा दे सकते हैं। कुल मिलाकर इस्लाम में आपकी हैसियत के हिसाब से नियम कायदों में रियायत दी जाती है।
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जकात और फितरे के बीच सबसे बड़ा फर्क ये है कि जकात देना रोजे रखने और नमाज पढ़ने जितना ही जरूरी होता है, लेकिन फितरा (Ramzan me Fitra) देना इस्लाम के तहत अनिवार्य नहीं बल्कि वाजिब है। जिस तरह जकात में 2.5 फीसदी देना तय होता है, जबकि फितरे की कोई सीमा नहीं है। हर इंसान अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक कितना भी फितरा दे सकता है। 1 किलो 633 ग्राम गेहूं की रेट केवल आम मुसलमान के लिए तय की गई है। मालदार मुस्लिम चाहे जितना फित्रा दे सकते हैं, और देना भी चाहिए।
इस बार भारत में ईद का चांद 10 अप्रैल 2024 को नजर आ सकता है। क्योंकि आज 31 मार्च को बीस रमजान पूरे हो चुके हैं। ऐसे में अगर तीस रोजे हुए तो ईद 11 अप्रैल को नहीं तो 29 रोजे होने की सूरत में ईद 10 को भी मनाई जा सकती है। सऊदी अरब में 9 अप्रैल को चांद नजर आ सकता है। वहां का रमजान एक दिन आगे चलता है क्योंकि टाइम जोन का फर्क है। आपको ईद उल फितर की एडवांस में मुबारकबाद।
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