Ramzan me Jima : रमजान का मुकद्दस महीना कुछ ही दिनों का मेहमान है। रमजान में बंदे को अल्लाह की इबादत में ऐसी लज्जत हासिल होती है कि वह बाकी चीजों को भूल जाता है। रमजान में मियां बीवी के ताल्लुक को लेकर शरीयत का साफ हुक्म है कि इस महीने में रोजे की हालत में मियां बीवी संबंध बनाने से परहेज करें। रमजान में हमबिस्तरी (Ramzan me Humbistari) को लेकर क्या नियम हैं ये कोई भी नहीं जानता है। हम आपको Ramzan me Jima को लेकर कुछ अहम तथ्य बताने वाले हैं। ताकि रमजान का महीना पाकीजा बना रहे और आपकी इबादत अल्लाह के यहां कुबूल भी हो सकें। औरतों के लिए भी सलाह है कि वे इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि सब ख्वातीन को मसला पता चल सके।
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मियां बीवी के बीच जिस्मानी संबंध को अरबी में जिमाअ या फिर मुबाशरत (Ramzan me Jima) कहा जाता है। उर्दू में इसे हमबिस्तरी का लकब दिया गया है। रमजान के महीने में हमबिस्तरी मना नहीं है। लेकिन रमजान में सोहबत के कुछ उसूल आदाब है। रोजे की हालत में बंदा अपनी बीवी के साथ संभोग नहीं कर सकता है। अन्यथा रोजा तो टूटेगा ही भारी गुनाह भी होगा। इसलिए मुस्लिम बंधु रोजे के दौरान बीवी से दूरी कायम करें। हां, रोजे के दौरान आप बीवी के माथे को चूम सकते हैं, यानी पत्नी की पेशानी का बोसा ले सकते हैं। इससे रोजा नहीं टूटता है। लेकिन अपनी भावनाओं पर रोजे के दौरान काबू रखें।
रोजा खोलने से लेकर सेहरी से पहले तक आप बीवी के साथ सोहबत कर सकते हैं। लेकिन जिमा के तुरंत बाद आपको गुस्ल करना होगा। मतलब संबंध के बाद जनाबत का स्नान करके आपको फज्र की नमाज से पहले ही पवित्र होना पड़ेगा। मियां बीवी दोनों का हमबिस्तरी करने के बाद जनाबत का गुस्ल करना अनिवार्य है। वरना आपका रोजा कुबूल नहीं होगा। साथ ही रोजे की हालत में बीवी को बाहों में भरने की ख्वाहिश न रखें अन्यथा रोजा टूट सकता है। मतलब कि तरावीह से लेकर सेहरी के बीच आप बीवी के साथ सोहबत कर सकते हैं।
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मियां जी ने अगर बीवी से रोजे की हालत में संबंध बना लिया तो फौरन रोजा टूट जाएगा। साथ ही Ramzan me Humbistari को कबीरा गुनाह माना गया है। इस गुनाह का कफ्फारा यानी प्रायश्चित ये है कि आप लगातार 60 रोजे रखे और 60 दिन तक गरीबों मिस्किनों को खाना खिलाए। तब जाकर Ramzan me Jima के गुनाह की माफी मिलेगी। तो इससे अच्छा है हुजूर के बताये अनुसार दिन में सब्र करें और रात में इबादत करें। एक महीना बीवी को भी कह दें कि ये वक्त रब के लिए हैं, बाकी के महीने अपने लिए है ही। इस्लाम में बीवी के साथ हमबिस्तरी करने का भी एक सुन्नत तरीका है।
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