Ramzan me Kya Padhe: माहे मुबारक रमज़ान चल रहा है। इस समय मुसलमान इबादत और तिलावत में मशगूल हैं। कहा जाता है कि रमजान की इबादत का सवाब 70 गुना से भी ज्यादा मिलता है। रात में तरावीह की नमाज पढ़ने का भी बहुत पुण्य मिलता है। रोजेदार के मुंह की खुशबू अल्लाह के यहां मुश्क़ और ज़ाफ़रान से भी ज्यादा पसंद की जाती है। इस पाकीज़ा महीने में कुछ खास दुआएं जरूर पढ़नी चाहिए ताकि रब राज़ी हो जाए। हम आपको रमजान में पढ़ने वाली खास दुआएं (Ramzan me Kya Padhe) बता रहे हैं। ताकि आप ज्यादा से ज्यादा इस मुक़द्दस महीने का लाभ ले सकें। हमें अपनी दुआओं में यूंही बनाएं रखें।
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“अऊजु बिल्लाहि वा कुद्रतिही मिन शरीरी मा अजिदु वा उहाजिरु”
हिंदी अर्थ – मैं अल्लाह की जात और कुदरत से हर उस चीज़ से पनाह मांगता हूं जिसे मैं महसूस करता हूं और जिस से मैं खौफ करता हूं।
जिस शख्स को कोई भी जिस्मानी तकलीफ हो, वह अपने जिस्म के उस हिस्से पर दायां हाथ रखकर तीन बार बिस्मिल्लाह पढ़कर ये दुआ 7 बार पढ़ें। अव्वल आखिर 3 बार दुरूद शरीफ का नजराना पेश कर दें। इंशाअल्लाह रमजान में इस दुआ की बरकत से सारी बलाएँ टल जाएंगी।
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“रब्बिग फ़िर वरहम व अंता खैरुर राहिमीन”
हिंदी अर्थ – ऐ मेरे रब, मुझे बख़्श दे, मुझ पर रहम फ़रमा, तू सबसे बेहतर रहम फ़रमाने वाला है।
रमजान का पहला अशरा एक से दस रमजान तक माना जाता है। इस खास दुआ को आप इन दस दिनों में जब चाहे पढ़ सकते हैं। हालांकि बाद नमाज के दुआ पढ़ने का ज्यादा सवाब होता है। अव्वल आखिर अगर दुरूदे पाक का नजराना पेश कर देंगे तो दुआ की हिफाजत हो जाएगी और वह आसमानों को चीरती हुई अर्शे इलाही तक फौरन पहुंच जाएगी।
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