Ramzan Me Tahajjud : आलमे इस्लाम इस समय इबादत ओ तिलावत में मसरुफ है। अल्लाह की रहमत हर वक्त जमीनो आसमान को घेरे हुए हैं। शबे कद्र का दौर है और नेअमतें तक्सीम करने खुद रूहुल कुदूस जिब्रील अमीन आज रात फरिश्तों के लश्कर के साथ ज़मीन पर उतरेंगे। रमज़ान के इस बाबरकत रूहानी और फैज़ानी माहौल में मोमिनों के लिए हम एक और नई जानकारी लेकर हाजिर हैं। दोस्तों रात की तन्हाई में जो नमाज अदा की जाती है उसे तहज्जुद की नमाज कहते हैं। हम आपको रमजान में तहज्जुद की नमाज (Ramzan Me Tahajjud) कैसे पढ़ते हैं इसका तरीका बताएँगे। बेशक तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने की बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है और अगर आप इसे रमजान में पढ़ते हैं तो सोने पर सुहागा हो जाएगा। तो बिला ताखीर के चलिए इब्तिदा करते हैं
यह भी पढ़ें : Namaz vs Salat: अरब देशों में नहीं पढ़ी जाती नमाज, जाने क्या है उनकी सलात
तहज्जुद की नमाज़ में 2 रकात से लेकर आप 12 रकात तक पढ़ सकते हैं। आधी रात से शुरु होने वाली ये नफ्ली नमाज मोमिन के लिए अल्लाह की ज़ात से राब्ता कायम करने के लिए सबसे बेहतरीन जरिया है। कहा जाता है कि रमजान के महीने में जब अल्लाह रब्बुल इज्जत पहले आसमान पर आ जाते हैं। उस समय अगर आप Tahajjud की सलात पढ़ते हैं तो मजीद फायदा हासिल होगा। रमजान में आप तरावीह के कुछ देर बाद से लेकर सेहरी के पहले तक तहज्जुद की नमाज (Ramzan Me Tahajjud) पढ़ सकते हैं। तरीका वही है जो आम दिनों में होता है बस सवाब 70 गुना बढ़ जाएगा। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अगर दुश्वार न होता तो उम्मत के लिए तहज्जुद फर्ज करार कर दी जाती।
वैसे तो मुसलमानों के लिए दिन रात में पांच नमाजे फर्ज हैं, लेकिन कुछ अतिरिक्त नमाजें भी पढ़ी जा सकती हैं जिन्हें नफ्ली नमाज कहा जाता है। तहज्जुद की नमाज़ (Tahajjud Namaz) एक नफ़्ल नमाज़ है यानी इसे पढ़ना ज़रूरी तो नहीं है लेकिन आप इसे रात के समय पढ़कर अल्लाह का सानिध्य प्राप्त कर सकते हैं। तहज्जुद के टाइम की बात करें तो ईशा की नमाज के बाद रात दस बजे से सुबह फज्र की नमाज से पहले तक इसका वक्त रहता है। लेकिन मौसम के हिसाब से तहज्जुद का टाइम फिक्स नहीं है। बस आपको ईशा से फज्र के बीच ये नमाज पढ़ लेनी है।
यह भी पढ़ें : Shabe Qadr Nawafil : शबे कद्र में नफिल नमाज कैसे पढ़ें, मुस्लिम भाई जान लें
कुरान और हदीस में तहज्जुद की नमाज़ की बड़ी फजीलत बयान की गई है। अल्लाह का यह पसंदीदा अमल नबियों और वलियों की पहली पसंद रहा है। यानी रात ढलने का वक्त दुआओं की कबूलियत का वक्त होता है। तभी तो तहज्जुद की नमाज के बाद मांगी गई हर दुआ जरूर कुबूल होती है। नींद को छोड़कर नर्म बिस्तर को छोड़कर अल्लाह के सामने तहज्जुद की नमाज़ के लिए खड़े हो जाना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। तहज्जुद के ज़रिये अल्लाह का कुर्ब और उसकी रज़ा हासिल होती हैं। यानी Tahajjud की नमाज पढ़कर आप अपनी बिगड़ी किस्मत संवार सकते हैं।
Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…
National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…
Hanuman Jayanti : राहोली पंचायत के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में हनुमान जयंती के अवसर…
Jaipur Bulldozer Action: जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से 9 अप्रैल को अतिक्रमण के खिलाफ…
Starting a business usually means spending money on a shop, hiring staff, buying stock, and…
PESA Act : जयपुर। जनजातियों की रक्षा करने वाला विश्व के सबसे बड़े संगठन अखिल…