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Shab e Barat Mubarak Ho: शब-ए-बारात में ये काम किया तो बर्बाद हो जाओगे, मुसलमान भी नहीं जानते!

Shab e Barat Mubarak Ho: आज 25 फरवरी 2024 का दिन मुसलमानों के लिए काफी अहम है। क्योंकि आज शबे बारात का त्योहार मनाया जाएगा। इस रात में अल्लाह की इबादत करके मुस्लिम बंधु अपने गुनाहों पर शर्मिंदा होते हैं, तथा माफी तलब करते हैं। Shab e Barat के त्योहार पर भारत में मीठे पकवान और हलवा बनाया जाता है। साथ ही इस दिन मस्जिदों और कब्रिस्तानों पर खास रौशनी की जाती है। लेकिन कई मुस्लिम लड़के आजकल आतिशबाज़ी और डीजे का इंतजाम भी शबे बारात की रात में करने लग गए हैं, जो कि सरासर गलत है। हम आपको बताएंगे कि इस्लाम इस बारे में क्या कहता है। तो चलिए जानते है कि Shab e Barat की रात में क्या नहीं करना चाहिए। सभी मुस्लिम बंधुओँ को मॉर्निंग न्यूज इंडिया की तरफ से Shab e Barat Mubarak Ho, आप सब आज इबादत करके मौला को राज़ी कर ले।

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शब-ए-बारात में क्या नहीं करे?

अब तक हमने ये बताया था कि शबे बारात में क्या करना चाहिए। शब-ए-बारात की रात में कसरत से इबादत करें, रोजा रखें और अपने गुनाहों पर नादिम हो। चूंकि Shab e Barat की इस Mubarak रात की इबादत और रोजा नफली यानी स्वैच्छिक माना गया है। ऐसे में कई युवा मुस्लिम इस रात में डीजे और आतिशबाजी करते है। इनसे मुस्लिमों को खासतौर पर बचना चाहिए। क्योंकि फिजूलखर्ची इस्लाम में बिल्कुल मना है। वही आतिशबाजी से न केवल प्रदूषण होता है, बल्कि इस्लामी नजरिए से इसे खुराफात माना गया है। कुरआन शरीफ की सूरह-अल-इसरा की आयत नंबर-27 में फिजूलखर्ची करने वालों को शैतान का भाई करार दिया गया है।

Shab e Barat Mubarak Ho

शब-ए-बारात में शब का मतलब रात है, तो वहीं बारात का मतलब बरी होना है। यानी इस रात में मगफिरत की दुआ करके तौबा करके गुनाहों से बरी होने का मौका मिलता है। चिराग़-ए-बरात, बारात नाइट, बेरात कंदिली, सुबरात, या निस्फू सियाबन वगैरह कई नामों से दुनिया भर में शब्बे बारात को जाना जाता है। इस रात में इंसानों की तकदीर तय हो जाती है।

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इस्लाम में आतिशबाज़ी नाजायज है

इस्लाम में Shab e Barat के Mubarak मौके पर आतिशबाजी करना और सड़कों पर जश्न मनाने के लिए मना किया गया है। चूंकि इस्लाम में इस तरह की खुराफाती रस्मों के लिए कोई जगह नहीं है। लेकिन आधुनिक दौर के मु्स्लिम लड़के देखादेखी में आतिशबाजी और डीजे से सारी रात न खुद सोते हैं, न ही दूसरों लोगों को सोने देते हैं। जबकि इस्लाम में दूसरों को तकलीफ पहुंचाने पर सख्त पाबंदी है। शबे बारात में तो तन्हाई में रात के अंधेरे में अल्लाह के सामने रो रोकर अपने गुनाहों की माफी मांगने के लिए कहा गया है।

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