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Solar Eclipse in Islam : सूर्यग्रहण को लेकर इस्लाम क्या कहता है, क्या करते हैं मुसलमान इस दिन

Solar Eclipse in Islam : आज साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण है। सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चांद धरती के समीप होता है। चांद जब सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो वह पूरे सूरज को ढंक लेता है। इस वजह से सूरज की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती और अंधेरा कायम हो जाता है। आज 8 अप्रैल को भी पूर्ण सूर्य ग्रहण है जो केवल अमेरिका में दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण को हिंदू धर्म में काफी महत्व दिया गया है। लेकिन इस्लाम में सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse in Islam) के बारे में क्या लिखा हुआ है। रमजान के इस महीने में सूर्य ग्रहण को लेकर कई मुसलमान ये जानना चाहते हैं कि नबी ए करीम ने सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse in Islam) के बारे में क्या बताया था। तो चलिए आप हजरात को जानकारी देते है कि मुसलमानों के लिए इस दिन रब का क्या आदेश है।

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सूर्यग्रहण को लेकर इस्लाम क्या कहता है
(Solar Eclipse in Islam)

इस्लाम में सूर्य ग्रहण के दिन को कयामत का वक्त माना गया है। जब भी ग्रहण लगता था, तब नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मस्जिद चले जाते थे और वहां वह लंबी नमाज पढ़ते थे। पैगंबर साहब सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse in Islam) के बारे में कहते थे कि जब भी ग्रहण देखो तो अपने रब को याद करो और अपने गुनाहों के लिए माफी मांगो।

सूर्य ग्रहण का दिन मुसलमानों के लिए कैसा है?

हालांकि इस्लाम में किसी दिन को अशुभ नहीं माना जाता है। लेकिन सूर्य ग्रहण को इस्लाम (Solar Eclipse in Islam) में शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिन नबी ए पाक के साहबजादे की मौत हुई थी। जिस दिन नबी जी के बेटे की मौत हुई उस दिन सूर्य ग्रहण था, लेकिन नबी ए करीम के बेटे की मौत का सीधा ताल्लुक सूर्य ग्रहण से बिल्कुल नहीं है। इस्लाम में किसी दिन को अपशकुन मानने की मनाही है।

सूर्य ग्रहण के दिन खास नमाज अदा होगी

वैसे तो पांच वक्त की नमाज मोमिन पर फर्ज है। लेकिन सूर्य ग्रहण या फिर चंद्रग्रहण जैसे खास दिनों पर कुछ खास तरह की नमाज भी पढ़ी जाती है। हदीस के मुताबिक सूर्य ग्रहण के समय पढ़ी जाने वाली नमाज को नमाज़-ए-खुसूफ (Salat al-Kusuf) कहा जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान सभी लोगों को ये नमाज पढ़ने की हिदायत दी जाती है। ग्रहण के दौरान मुसलमान नमाज़-ए-कुसूफ पढ़ते हैं, ताकि ग्रहण (Solar Eclipse in Islam) का बुरा प्रभाव उन पर ना पड़े। वैसे आज आखिरी लैलतुल कद्र भी है तो आप रात में ये नमाज पढ़ सकते हैं। इसमें 2 रकात नमाज नफिल पढ़नी है बस नियत में नमाज का नाम नमाज ए कुसुफ लिया जाता है।

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हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण का महत्व

हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण को अशुभ माना गया है। इस दिन लोगों को पूजा पाठ नहीं करनी चाहिए और ना ही भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना चाहिए। यहां तक की नंगी आंखों से सूरज की तरफ देखना भी सूर्य ग्रहण के दौरान प्रतिबंधित है। गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए, ऐसा करने से उनके बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। हालांकि नीयत सही रखे बाकी सब रब संभाल लेगा।

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