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अभी भी भारत के 13 राज्यों में फंसा है आर्टिकल 371 का पेंच, जानिए क्या है ये

जयपुर। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को खत्म करने के सरकार के फैसले को सही ठहराया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने Article 370 को 'अस्थाई प्रावधान' माना है। गौरतलब है कि भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया था। लेकिन आपको बता दें कि भारत के 13 राज्यों में अभी भी Article 371 का पेंच फंसा हुआ है जिसके तहत उन्हें विशेष राज्य का दर्जा मिलता है।

संविधान के भाग-21 में हैं आर्टिकल्स का प्रावधान

भारत के संविधान के भाग-21 में आर्टिकल 369 से लेकर आर्टिकल 392 तक परिभाषित किए गए हैं। Indian Constitution में इसी को 'टेम्पररी, ट्रांजिशनल एंड स्पेशल प्रोविजन्स' बताया गया है। इसी तरह आर्टिकल 370 अस्थाई प्रावधान था, जबकि आर्टिकल 371 एक विशेष प्रावधान है। हालांकि, जब संविधान लागू किया गया तब आर्टिकल 371 नहीं था बल्कि बाद में इसें जोड़ा गया। आर्टिकल 371 के जरिए विशेष प्रावधान उन राज्यों के लिए किए गए थे, देश के अन्य राज्यों से पिछड़े हुए थे अथवा उनका विकास सही से नहीं हो पाया। यही आर्टिकल जनजातीय संस्कृति को संरक्षण देने के साथ ही स्थानीय लोगों को नौकरियों के मौके देता है। संविधान में आर्टिकल 371 के अलावा आर्टिकल 371A से 371J तक हैं जो देश के अलग-अलग राज्यों के लिए बनाए गए हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारे में—

आर्टिकल 371 क्या है (What is Article 371)

आर्टिकल 371 गुजरात, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश के कुछ भागों में लागू किया गया है जिसके तहत, महाराष्ट्र और गुजरात के राज्यपाल को कुछ विशेष राइट्स अधिकार दिए गए हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल विदर्भ और मराठवाड़ा के लिए विकास बोर्ड बना सकते हैं। वहीं, गुजरात के राज्यपाल सौराष्ट्र और कच्छ के लिए विकास बोर्ड बना सकते हैं। जबकि, हिमाचल प्रदेश में इस आर्टिकल के जरिए कोई बाहरी व्यक्ति यहां खेती की जमीन नहीं खरीद सकता।

 

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आर्टिकल-371A, (Article 371A) नागालैंड

यह 1962 में जोड़ा गया था। इसके तहत नागालैंड को 3 विशेष अधिकार प्राप्त हैं। 1- भारत का कोई भी कानून नगा लोगों के सांस्कृतिक और धार्मिक मसलों पर लागू नहीं है। 2- आपराधिक मामलों में नगा लोगों को राज्य के ही कानून के तहत सजा मिलती है। इन पर संसद के कानून और सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू नहीं। 3- नागालैंड में दूसरे राज्य का कोई भी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता।

आर्टिकल-371B (Article 371B) असम

इसको 1969 में 22वें संशोधन के तहत जोड़ा गया था। यह असम पर लागू होता है। इसके जरिए राष्ट्रपति के पास अधिकार है कि वो असम विधानसभा की समितियों का गठन करें और इसमें राज्य के जनजातीय क्षेत्रों से चुने गए सदस्यों को शामिल किया जा सकता है।

आर्टिकल-371C (Article 371C) मणिपुर

इसको 27वें संविधान संशोधन के के जोड़ा गया था। यह मणिपुर राज्य यमें लागू है। इसके जरिए भारत के राष्ट्रपति मणिपुर विधानसभा में एक समिति बना सकते हैं। इस समिति में राज्य के पहाड़ी इलाकों से सलेक्ट किए गए मेंबर्स को शामिल कर सकते हैं। इस समिति का काम राज्य के पहाड़ी इलाकों के बसे लोगों के हित में नीतियां बनाना है।

आर्टिकल-371D (Article 371D) (Article 371E) आंध्र प्रदेश और तेलंगाना

इसको 1973 में संशोधन में जोड़ा गया था। यह आंध्र प्रदेश में लागू होता था। आपको बता दें 2014 में आंध्र से अलग होकर तेलंगाना अलग राज्य बना। इस वजह से यह आर्टिकल दोनों राज्यों में लागू होता है। इसके तहत, भारत के राष्ट्रपति को अधिकार है कि वो राज्य सरकार को आदेश दे सकते हैं कि किस नौकरी में किस वर्ग के लोगों को रखा जा सकता है। इसी तरह राज्य के लोगों को शिक्षा के क्षेत्र में भी बराबर का हिस्सा मिलता है। वहीं, आंध्र प्रदेश में 371E भी लागू होता है। इसके तहत केंद्र सरकार को यहां सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने का अधिकार देता है।

 

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आर्टिकल-371F (Article 371F) सिक्किम

इसको 1975 में 36वें संशोधन के तहत जोड़ा गया था। इसके तहत सिक्किम के राज्यपाल के पास राज्य में शांति बनाए रखने तथा उसका उपाय करने का अधिकार है। इसमें सिक्किम की खास पहचान और संस्कृति को संरक्षित करने का प्रावधान है। इसके तहत सिक्किम में बाहरी लोग जमीन नहीं खरीद सकते।

आर्टिकल-371G (Article 371G) मिजोरम

इसको 53वें संशोधन के जरिए 1986 में जोड़ा गया था। यह मिजोरम पर लागू होता है जिसके जरिए मिजो लोगों के धार्मिक, सांस्कृति, प्रथागत कानूनों और परंपराओं को लेकर विधानसभा की सहमति के बिना संसद कोई कानून नहीं बना सकती। इसमें यह भी प्रावधान है कि यहां की जमीन पर अधिकार सिर्फ मिजो लोगों को ही है।

आर्टिकल-371H (Article 371H) अरुणाचल प्रदेश

इसें 55वां संशोधन कर संविधान में जोड़ा गया था। यह अरुणाचल प्रदेश में लागू है। इसके तहत राज्यपाल को कानून-व्यवस्था के लिए कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं। यहां पर राज्यपाल चाहें तो सीएम का फैसला भी रद्द कर सकता है।

आर्टिकल-371I गोवा (Article 371I)

यह गोवा में लागू होता है जिसके तहत यहां की विधानसभा में 30 से कम सदस्य नहीं हो सकते।

आर्टिकल-371J (Article 371IJ) कर्नाटक

इसको 98वें संशोधन के जरिए जोड़ा गया था। यह कर्नाटक में लागू होता है। इसके तहत, हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के 6 जिलों को विशेष दर्जा प्राप्त है। इसको अब कल्याण-कर्नाटक कहा जाता है।

Anil Jangid

Anil Jangid डिजिटल कंटेट क्रिएटर के तौर पर 13 साल से अधिक समय का अनुभव रखते हैं। 10 साल से ज्यादा समय डिजिटल कंटेंट क्रिएटर के तौर राजस्थान पत्रिका, 3 साल से ज्यादा cardekho.com में दे चुके हैं। अब Morningnewsindia.com और Morningnewsindia.in के लिए डिजिटल विभाग संभाल रहे हैं।

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