मुझे घूर कर मत देखना
जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा है। हमारे कानून में तो यह अब जुड़ा है। लेकिन हमारी पौराणिक कथाओं में इसका एक सुंदर चित्रण मिलता है।
हमारे दादा -दादी, नाना- नानी अक्सर ऐसी गूढ़ रहस्य वाली ज्ञानवर्धक कहानियां सुनाते रहते हैं। जोकि विभिन्न संदर्भ में शिक्षाप्रद होने के साथ-साथ जीवन के रहस्य और रोमांच से भरपूर बहुत सी समस्याएं अनायास सुलझा भी देती है और समाधान भी बताती हैं।
ऐसी ही एक कहानी है। जिसकी पात्र महिला अपनी शक्ति और सशक्तिकरण का उदाहरण मात्र एक लाइन में दे देती है। जिसे सुनकर ऋषि भी चौक जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कौशिक नाम के एक ऋषि धे। युवावस्था में उन पर तपस्या करने का भूत सवार हुआ और वे अपने माता पिता को घर में अकेला छोड़कर।
वन में तपस्या के लिए निकल गए। सालों की कठोर तपस्या के बाद ब्रह्मा जी उन पर प्रसन्न हुए और उन्हें मनवांछित फल दे दिया। जब वे तपस्या के बाद उठने लगे। तभी आकाश में उड़ती हुई चिड़िया ने उन पर अपशिष्ट डाल दिया। ऋषि को क्रोध आ गया और उन्होंने उस चिड़िया को देखते ही भस्म कर दिया। नन्ही चिड़िया आकाश में ही राख का ढेर होकर। पृथ्वी के पंचतत्व में विलीन हो गई। ऋषि बहुत प्रसन्न हुआ। यह जानकर हां, उसे मनवांछित फल मिल गया है। अब वह किसी को भी भस्म कर सकता है।
जैसा कि शास्त्रों में उल्लेख है। शास्त्रार्थ, ज्ञान अर्जन के बाद भी ऋषि मुनि आस-पास के गांव, कबीलों में भिक्षा मांगने जाते। इसी प्रकार वह भी एक द्वार पर पहुंचा।
द्वार पर खड़े होकर इसने आवाज लगाई। भिक्षाम देही, भिक्षाम देही, अंदर से एक महिला की आवाज आई। ठहरिए महाराज अभी आती हूं। साधु अभी भी नहीं रुका और क्रोध में आकर तेज+ तेज बोलने लगा भिक्षाम देही, भिक्षाम देही।
महिला दीक्षा लेकर बाहर आई तो ऋषि ने उसे घूरा।
इसे देख महिला बोली, मुझे वह चिड़िया मत समझना कि तुम मुझे घूरोगे और मैं भस्म हो जाऊंगी। मैं अपने बिमार पति को भोजन करवा रही थी। आप इंतजार कर सकते हैं,पर मेरा पति बीमार है। उसका ध्यान रखने वाला कोई नहीं। इसी प्रकार ऋषि आगे भिक्षा मांगने गया और उसे एक कसाई मिला। कसाई ने पूछा उस चिड़िया को भस्म कर के तुम्हें क्या मिला?
ऋषि अचंभित हो गया, यह देख कर आखिर कसाई को यह बात कैसे पता चली?
तब ऋषि कसाई से ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा में जुट गया। कसाई ने भी कहा कल आना। कसाई अपना काम बहुत बेहतरीन तरीके से कर रहा था। वह कसाई था। फिर भी जीवो को इस प्रकार मार रहा था। जिससे उन्हें कम से कम कष्ट हो। इस काम को उसने इसलिए चुना क्योंकि किसी ना किसी को तो यह काम करना ही था।
अगर वह इस काम को करेगा तो शायद पशु पक्षियों को कम दर्द होगा। क्योंकि वह उसकी आजीविका का माध्यम भी था, मजबूरी भी थी। इसलिए उसे ऐसा करना पड़ा। प्रश्न यह उठता है कि ऋषि की क्या मजबूरी थी कि उसने नन्हीं सी उड़ती चिड़िया को भस्म कर डाला। जो अपने नन्हे- नन्हे बच्चों के लिए अभी घोसला बनाकर आई थी। सवेरे जल्दी उठकर भोजन की तलाश करने निकली थी।
आपको इस कहानी से क्या शिक्षा मिली?
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