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मौजूदा संसद भवन समेटे हुए हैं अपने भीतर गौरवशाली इतिहास

नई दिल्ली- नया संसद भवन 28 मई को प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। नया संसद भवन 971 करोड़ रूपए में बनकर तैयार हुआ है। नया संसद भवन कितना ही आधुनिक क्यों ना हो पर मौजूदा संसद भवन को भुलाया नहीं जा सकता। मौजूदा संसद भवन ने अपने भीतर गौरवशाली इतिहास को समेटा हुआ है। नया संसद भवन आधुनिक सुविधाओं से युक्त है, पर मौजूदा संसद का अपना ही एक रोचक इतिहास है।

संसद भवन को तैयार होने में लगा था 6 वर्ष का समय

मौजूदा संसद भवन 1921 में शुरू हुआ था  संसद भवन का निर्माण कार्य जनवरी 1927 में पुरा हो गया थासंसद भवन की आधारशिला की बात करे तो इसकी आधारशिला 12 रवरी 1921 को रखी गई थी। यह आधारशिला किंग जॉर्ज पंचम का प्रतिनिधित्व करने वाले कनॉट द्वारा रखी गई थी। संसद भवन को तैयार होने में 6 साल लगे थे। मौजूदा संसद भवन उद्घाटन 18 जनवरी 1927 में तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन द्वारा किया गया था। एडविन लुटियंस द्वारा इस संसद भवन का डिजाइन बनाया गया था। एडविन लुटियंस एक प्रसिध्द ब्रिटिश वास्तुकार थे। लुटियंस द्वारा दिल्ली की कई इमारतों का डिजाइन किया गया है। मौजूदा संसद भवन भरतीय और पश्चिमी स्थपत्य शैली के मिश्रण को अपने भीतर समेटे हुए है।

संसद भवन कई एतिहासिक क्षणों की साक्ष्य रही

15 अगस्त 1947 यह वो दिन था जब हमारे देश को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली। उसके बाद संविधान का मसौदा तैयाद किया गया। इसके लिए संविधान सभ की स्थापना की गई। इस दौरान संसद ने अस्थायी रूप से काम किया। 26 जनवरी 1950 यह वह दिन था जब देश में संविधान को लागू किया गया। जब संविधान को लागू किया गया तो इस दौरान द्वि सदनीय प्रणाली को भी बरकारार रखा। जिसके बाद भारत की संसद को विधायिका का नाम दिया गया। संसद भवन ने स्थापना के बाद से ही लोकतंत्र को एक सांचे मं ढ़ालने तथा उसे आकार देने में अपनी भूमिका अदा की है। देयर के विकास और देश में कानून बनाने में अपनी भागिदारी निभाई है। संसद भवन कई एतिहासिक क्षणों, विधायी सुधारों तथा बहसों को सुना और देखा है। इन एतिहासिक पलों को अपने अंदर लिए संसद लोकतांत्रिक ढ़ाचे में एक अतिआवश्यक संस्था बन गई।

भारतीय संसद की स्थापत्य संरचना

भारतीय संसद की डिजाइन की बात करे तो इसे स्थापत्य शैली के में तैयार किया गया है। मौजूदा संसद भवन औपनिवेशिक वास्तुकला के साथ ही भरतीय और इस्लामी स्थापत्य कला को भी जोड़ता है। इस इमारत पर बना गुंबद संसद के केंद्री हॉल का प्रतिनिधित्व करता है। यह गुंबद राष्ट्रपतिभवन से प्रेरित है। इस इमारत का र्निमाण् बलुआ पत्थर से करवाया गया है। संसद भवन के सेंट्रल हॉल की बात करे तो इसे संसद भवन का दिल कहा जाता है। यह गोलाकार बना हुआ है, इसमें दोनों सदनों के संयुक्त सत्र के साथ ही कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। संसद भवन का अग्रभाग में बेहतरीन नक्काशि की गई है। इसमें भारतीय और इस्लामी दोनों ही स्थापत्य तत्वों को प्रदर्शित किया गया है।

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