लखनऊ- यूपी नगरिया निकाय चुनाव के नतीजों पर समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं का कद टिका हुआ है। दरअसल यूपी नगरीय निकाय चुनाव को राजनीतिक दल 2024 लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देख रहे हैं। नगरीय निकाय चुनाव में जीत के बाद ही कई दिग्गज नेताओं के कद का फैसला हो पाएगा। समाजवादी पार्टी ने कई दिग्गज नेताओं को नगरीय निकाय चुनाव के दौरान अलग-अलग शहरों में चुनाव प्रभारी बनाकर जिम्मेदारी सौंपी और पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने का लक्ष्य दिया गया। अब ऐसे में प्रत्याशियों की जीत पर चुनाव प्रभारी का लोकसभा चुनाव में टिकट लेने का सपना टिका हुआ है।
निकाय चुनाव के परिणाम आने के बाद कई नेताओं के लोकसभा टिकट तय हो पाएंगे। लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट की राह निकाय चुनाव के परिणाम खोल सकते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे नगरीय निकाय चुनाव को राजनीतिक दल सेमीफाइनल के तौर पर देख रहे हैं। इस बार सपा ने नगर निगम वाले बड़े शहरों में पूरा ध्यान दिया है और चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि लोकसभा चुनाव प्रभारी तक बनाए गए पार्टी ने बूथ कमेटियां गठित की। पार्टी ने जीत के लिए हर संभव प्रयास किए और विधानसभा वार प्रभारी भी नियुक्त किए।
बात करें समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री एवं विधानसभा में मुख्य सचेतक मनोज कुमार पांण्डेय की तो मनोज कुमार को वाराणसी के साथ-साथ रायबरेली का जिम्मा भी सौंपा गया था। वही कुशीनगर में पार्टी के प्रत्याशी को जिताने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को दि गई। वाराणसी में पार्षदों एवं मेयर को जिताने का जिम्मा पूर्व मंत्री एवं विधायक ओमप्रकाश सिंह को दिया गया।
विधायक आशु मलिक ने अपने भाई नूर हसन मलिक को सहारनपुर से मेयर का चुनाव लड़वाया है और उन्हें जिताने के लिए हर संभव प्रयास किया है। ऐसे में इन सभी पदों पर जीत और हार पार्टी के विधायकों के कद को तय करेगी।
वंदना मिश्रा के चुनाव प्रचार संचालन का जिम्मा पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप को सौंपा गया। वहीं कई शहरों एवं क्षेत्रों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी गई। पार्टी निकाय चुनाव में परिणाम देखने के बाद कई नेताओं को लोकसभा का टिकट भी दे सकती है।
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