यूक्रेन के पास तेल कहां से आ रहा है?
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इस खबर ने खलबली मचा दी है। एक तरफ रशिया पर प्रतिबंध पर प्रतिबंध लग रहे है। दूसरी तरफ वह अभी भी रूस-यूक्रेन युद्ध में डटकर खड़ा है। ऐसे में सवाल उठता है। आखिर क्या हो रहा है यूक्रेन- रूस युद्ध और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में?प्रसिद्ध पुलित्जर अवार्ड प्राप्त पत्रकार सिमोन हर्श का एक बयान सुर्खियां बटोर रहा है।
क्या है सीमोर हर्श का दावा?
अपनी खोजी पत्रकारिता से खबरे और सुर्खियां बटोरने वाले सिमोर हर्श ने गहन रिसर्च और शोध के बाद यह पता लगाया है। यूक्रेन खुद रूस से ऑयल खरीद रहा है। इस बीच यह साफ साफ पता चलता है कि अमेरिका इस बीच कितना बड़ा बेवकूफ साबित हुआ? अपने मजाकिया व्यक्तित्व के लिए प्रसिद्ध यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेस्की का यह कारनामा सचमुच हास्यास्पद नजर आता है। एक तरफ तो वह भारत और पूरी दुनिया को रशिया से दूर रहने की सलाह देता है। दूसरी तरफ खुद थर्ड पार्टी के थ्रू रशिया से ऑयल खरीद कर रहा है। ऐसे में अमेरिकी डॉलर का प्रवाह रूस तक स्वत ही पहुंच रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका, यूरोपियन देश और विकसित जी 7 देशों का ग्रुप जिन्होंने मिलकर यूक्रेन में अंधाधुंध पैसा लगाया, डॉलर और पॉन्ड खर्च किया । उन सबका यूक्रेन में कोई लेखा-जोखा नहीं है। वहां भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका है। अफसरशाही तानाशाही में बदल रही है। एक तरह से देखा जाए तो यूक्रेन विश्व को बेवकूफ बना रहा है। इसकी यह हिपोक्रेसी अन्य देशों पर क्या प्रभाव डाल रही है? इसका इन्हें अंदाजा भी नहीं है।
वैसे आपको बता दे। सीमोर हर्श जिन्होने 1969 अमेरिका वियतनाम युद्ध पर रिपोर्ट पब्लिश की। उसमें उन्होंने वियतनाम की खबरों को भी काफी सशक्त अंदाज से पेश किया my lai mussacre में सीमोर हर्श ने अमेरिका के कृत्यों को खुल कर रखा। वियतनाम में जो नरसंहार अमेरिका ने किया। वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। इसी पर उन्हें 1970 में पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सभी जानते हैं भारी नरसंहार के बाद भी अमेरिका वहां जीत नहीं पाया। यह उसकी विश्व पटल पर सबसे बड़ी हार थी। जिसे उसने स्वीकार तो नहीं किया। लेकिन उसके दंश आज भी वियतनाम भुगत रहा है। यही हाल उसने अफगानिस्तान का किया और अब बारी है अन्य देशों के साथ वह कैसा सलूक करता है?
विश्व पटल पर क्या नया उभर कर आता है?
भारत को भी भारत-चीन युद्ध के समय अमेरिका ने ठेंगा दिखा दिया। वही आज वह पुनः अपनी प्रतिष्ठा को स्थापित करने में लगा है। देखने वाली बात होगी यूक्रेन-रूस युद्ध में विश्व पटल पर क्या नया उभर कर आता है? कहीं ऐसा ना हो दो बिल्लियों की लड़ाई में बंदर चीन रोटी लेकर भाग जाए। वैसे खोजी पत्रकार सीमोर हर्श ने बहुत सी खुफिया जानकारियां विश्व पटल पर दी है। अमेरिका के साथ-साथ इराक में अबू गरीब में कैदियों की यातना और दुर्व्यवहार को भी उन्होंने उजागर किया था।
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