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Wazu in Islam: मुसलमान नमाज से पहले वजू क्यों करते हैं, ये है सुन्नत तरीका

Wazu in Islam: इस्लाम के पांच स्तंभों की जब भी बात की जाती हैं तो नमाज का स्थान ईमान के बाद सबसे पहले आता है। अक्सर आपने देखा होगा कि मुस्लिम बंधु नमाज से पहले वजू करते हैं। पानी से चेहरा हाथ पैर धोते है। हाल ही में ज्ञानवापी मस्जिद वजूखाना मसले के बाद सब लोग वजू के बारे में जानना चाहते हैं। हम आपको वजू के तरीके से लेकर कुरान में उसके बारे में क्या लिखा है सब जानकारी मुहैया कराएंगे। इस्लाम में पाकी हासिल करने के लिए सबसे ज्यादा कहा गया है। क्योंकि नापाकी की हालत में कोई इबादत कुबूल नहीं होती है। नमाज से पहले वजू करना इस्लाम में (Wazu in Islam) बहुत जरूरी है। बिना वजू के नमाज नहीं होती है। तो चलिए जान लेते हैं क्या होता है वजू?

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क्या है वजू?

वजू असल में अरबी शब्द वुज़ू (wudu) है जिसका मतलब है रोशन होना। यानी नमाज से पहले मुसलमान को अपने जिस्म को पानी से साफ करने की एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें कुछ नियम कायदे होते हैं। वजू के दौरान एक दुआ पढ़ी जाती है। वुजू करना यानी अपने हाथ, मुंह और पैरों को खास तरह से सिलसिलेवार तरीके से धोने की पूरी प्रक्रिया, जिसे नमाज से पहले किया जाता है। वजू करने से पहले मिस्वाक करना भी सुन्नते रसूल है।

वजू के फर्ज कितने हैं?

वजू के छह फर्ज होते हैं

1. नाक और मुंह समेत चेहरे को पानी से अच्छी तरह धोना।
2. कोहनी समेत दोनों हाथों को धोना।
3. सिर का मसह करना यानी दोनों हाथों को गीला करके सिर के आगे से पीछे तक गर्दन तक फेरना।
4. टखनों समेत दोनों पैरों को धोना।
5. वुजू के अंगों के बीच नियमानुसार तर्तीब (क्रम) रखना।
6. वजू में जगहों को बिना गैप किए लगातार धोना।

वजू के बारे में कुरान में क्या कहा है?

वुजू के बारे में कुरान शरीफ में कहा गया है कि “ऐ ईमान वालों! जब तुम नमाज़ के लिए उठो, तो अपने चेहरों को और अपने हाथों को कोहनियों समेत धो लिया करो और अपने सिरों का मसह करो और अपने पैरों को टखनों समेत धो लो.” (सूरतुल मायदाः 6) यानी बिना वजू के इस्लाम में कोई भी नेक अमल काबिले कुबूल नहीं है।

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वजू के बारे में हदीस

वुजू के बारे में हदीस में आता है कि “अब्दुल्लाह इब्ने उमर र. नबी स. से रिवायत करते हैं कि जिबरील अ. ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा कि इस्लाम क्या है? आप स. ने जवाब दिया: इस्लाम यह है कि तुम अल्लाह की तौहीद और मोहम्मद स. के अल्लाह के पैगंबर होने की गवाही दो, नमाज कायम करो, जकात दो, हज और उमरा करो, नहाने की जरूरत पड़ जाए तो नहाओ, ठीक ढंग से वुजू करो और रमजान के रोजे रखो. जिबरील अ. ने कहा: अगर मैं ये सब कर लूं तो ‘मुस्लिम’ हो जाऊंगा? आप स. ने फरमाया हां.” (हदीस: अल-मुंजिरी)

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