Categories: भारत

खालिस्तान की मांग अमृत को विष में बदल रही है।

अमृतपाल सिंह अमृतसर को अमृत की बजाए विष में बदल रहा है। स्वयं को वारिस पंजाब दे, का अनुगामी बताते हुए पंजाब की वसीयत बनाने के चक्कर में है। कौन है इसके पीछे। पुराने घावों को नासूर में बदल रहे कुछ विकृत मानसिकता वाले कुछ एन आर आई और हमारे शत्रु पड़ोसी देश में बैठे आतंकवादी, अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं। पूर्वजों के शरीर पर पड़े कुछ घावों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है पंजाब में। फिर से वहां अशांति फैलाई जा रही है। फिर से उसे आग में धकेला जा रहा है। सोशल मीडिया, फिल्मी दुनिया से प्रभावित आज का यह उग्रवादी संगठन अपने आप को हीरो बताता है। वास्तव में यह देश के समाज कंटक हैं जो देश को विभाजित करने में तुले हैं। उन्हें आम इंसान से कोई मतलब नहीं है।

शिक्षा बेअसर 
उन्हें गुरु नानक देव की शिक्षा का कोई ज्ञान नहीं। सिख समुदाय की शिक्षा को भूल चुके हैं। कभी मुगलों से लोहा लेने वाले अपने महान योद्धाओं को भुला चुके हैं। स्वर्ण मंदिर की शांति। स्वर्ण मंदिर की शांति कुछ उग्रवादियों को पसंद नहीं आ रही। क्या उचित है खालिस्तान की मांग? जब देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। तब हम उसमें अपना सहयोग क्यों नहीं कर सकते? हमें एकजुट होना होगा सभी नेताओं को अपनी संकीर्ण विचारधारा को त्याग कर देश के इस प्रांत को टूटने से बचाना होगा। हम इतिहास नहीं बदल सकते किंतु इतिहास से कुछ सबक व सीख तो ले सकते हैं।

भिंडरवाला और उसके समर्थकों को बेअसर करने वाला ऑपरेशन ब्लू स्टार क्यों फिर से खोदा जा रहा है ? कौन है इस विघटनकारी ताकतों के पीछे ? किसके पास इतना पैसा और धन है ? जो समाज की उन्नति की वजाए समाज को तोड़ने में लगा रहा है। इतिहास गवाह है कि पंजाब हमेशा से ही बाहरी आक्रमणकारियों का प्रथम सोपान रहा है। उसने जितने दुख झेले हैं उतने शायद ही किसी और प्रांत में झेले होंगे ? पंच नदियों से बना पंजाब पूरे देश की प्यास बुझाने वाला आज क्यों फिर से खून के आंसू रोए ? हम सभी भारतीयों को एकजुट होकर इस आंदोलन का विरोध करना चाहिए।

उग्रवाद, अलगाववाद 
उग्रवाद कभी भी शांति का अग्रदूत नहीं हो सकता। पंजाब को फिर से अस्थिरता में बदलने की साजिशों को नाकाम करना होगा। सीमा पर चौकसी बढ़ानी होगी। आंदोलन के पीछे समाज कंटकों के विचारों को समझना होगा।

नशा 
पंजाब के साथ पाकिस्तान की एक लंबी चौड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा है। जो कि अफीम के गोल्डन रूट पर स्थित है। ऐसे में सबसे अधिक नशे का कारोबार इसी रूट से होता है। यही कारण है कि हमारे युवा पथ भटक रहे हैं। इस गोल्डन रूट को जितना जल्दी हो सके ठीक करना होगा। देश की एकता, अखंडता पर आंच ना आए इसके लिए खालिस्तान की मांग बिल्कुल  नाजायज है। सरकार को इस प्रकार के विरोध को सख्त रूप से दबाना चाहिए। जो अपने आप को मॉडर्न क्रांतिकारी बताते हैं। असल में क्रांतिकारी नहीं उग्रवादी नजर आ रहे हैं। इतने बड़े हथियारों का जत्था इनके पास कहां से आता है? पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी जागरूक और सजग होना होगा।

Morning News India

Recent Posts

झोटवाड़ा में रक्तदान शिविर का आयोजन, 50 से अधिक यूनिट रक्त एकत्र

blood donation camp : जयपुर। झोटवाड़ा स्थित 'डॉ. पांडे ईएनटी सेंटर' ने 'स्वरूप फाउंडेशन डीके…

2 दिन ago

जयपुर का युवा बना रहा है भारत के सबसे वैज्ञानिक बेबी टॉय ब्रांड – LiLLBUD

IIT दिल्ली के पूर्व छात्रों अभिषेक शर्मा और अयुष बंसल द्वारा स्थापित, LiLLBUD 0–18 महीने…

1 महीना ago

लिवर की बीमारियों के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए पहले से सचेत रहना जरूरी

Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…

4 महीना ago

सोनिया गांधी व राहुल गांधी के खिलाफ ईडी चार्ज शीट पेश, विरोध में उतरी कांग्रेस का धरना प्रदर्शन

National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…

4 महीना ago

राहोली में हनुमान जयंती का आयोजन! बच्चों ने बजरंगी बन मोहा सबका मन

Hanuman Jayanti : राहोली पंचायत के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में हनुमान जयंती के अवसर…

4 महीना ago

जयपुर में अतिक्रमण पर चला बुलडोजर, बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा भिड़े अधिकारियों से

Jaipur Bulldozer Action: जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से 9 अप्रैल को अतिक्रमण के खिलाफ…

4 महीना ago