जयपुर। इस बार 2023 विधानसभा चुनाव बड़ा रोचक होने वाला है। राजस्थान की कई विधानसभा सीट चर्चा में है। जहां हर किसी की निगाहे टिकी हुई है। इसी कड़ी में कोटा संभाग और झालावाड़ ज़िले की झालरापाटन सीट भाजपा और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के अभेद्य गढ़ के तौर पर पहचानी जाती है। दरअसल, वसुंधरा राजे यहां से एक-दो नहीं, बल्कि चार बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर चुकी है। इस बार भी उन्हें ही टिकट मिलना और जीत हासिल होना तय माना जा रहा है।
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पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की परंपरागत झालरापाटन विधानसभा सीट चर्चा में है। दरअसल, यहां से सहकारिता विभाग के एपीओ अफसर रायसिंह मोजावत ने चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है। मोजावत छह माह पूर्व ही एसीबी की कार्रवाई के कारण एपीओ हुए हैं और अब झालरापाटन से चुनाव मैदान में ताल ठोकने जा रहे हैं।हालांकि मोजावत चुनाव प्रचार के शुरूआती दौर में ही आचार संहिता उल्लंघन के दोषी पाए गए हैं। सोशल मीडिया पर उनके प्रचार और शहर में लगे होर्डिंग्स के चलते मोजावत को आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी माना गया है।
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यहीं नहीं जिला कलक्टर ने तो उनके खि लाफ कार्रवाई के लिए सहकारिता विभाग को भी लिखा है। जानकारी के अनुसार नरेश अरोड़ा नाम के एक शख्स ने मोजावत के राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त होने की शिकायत जिला कलक्टर से की थी। उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति ने इस बारे में जांच-पड़ताल की, तो मोजावत को राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त होना पाया गया। अब समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई के लिए कलक्टर ने सहकारिता विभाग के उच्चाधिकारियों को लिखा है।
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गौरतलब है मोजावत और उनकी तहसीलदार पत्नी के खिलाफ छह माह पहले एसीबी ने आय से अधिक संपत्ति से जुड़ी कार्रवाई की थी। इसके बाद मोजावत को एपीओ कर मुख्यालय में उपस्थिति के आदेश दिए गए थे। जबकि मोजावत का कहना है कि चुनाव लड़ने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए सहकारिता विभाग को 3 अक्टूबर को ही सूचित कर दिया था। विभाग ने सोमवार को कार्यमुक्त कर दिया। नोटिस का जवाब दे दिया है।
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कोटा संभाग और झालावाड़ ज़िले की झालरापाटन सीट भाजपा और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के अभेद्य गढ़ के तौर पर पहचानी जाती है। दरअसल, वसुंधरा राजे यहां से एक-दो नहीं, बल्कि चार बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर चुकी है। इस बार भी उन्हें ही टिकट मिलना और जीत हासिल होना तय माना जा रहा है। राजे ने पूर्व के चुनावों में अपने प्रतिद्वंदियों को बड़े अंतर से शिकस्त दी है। भाजपा इस सीट पर पिछले 35 सालों से काबिज़ है।
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