जयपुर। Babul Ki Fali : आज के समय में बचपन में ही लोगों कैल्शियम की कमी की वजह से घुटनों व जोड़ों के दर्द समेत हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याएं सामने आती हैं। ऐसा ठीक से कैल्शियम युक्त पोषण नहीं मिलने व व्यायाम आदि की कमी की वजह से होता है। हालांकि, घुटनों व जोड़ों से संबंधित दिक्कते 40 साल की उम्र के बाद अधिकतर लोगों में देखने को मिलती है जिसके के लिए वो तरह तरह की दवाएं लेते हैं लेकिन ज्यादा आराम नहीं मिल पाता। लेकिन, बबूल की फली एक ऐसी चीज है जो घुटनों व जोड़ों के दर्द में रामबाण इलाज साबित होती है। इस समय गर्मी का सीजन है और चारों तरफ विशेषकर राजस्थान में बबूल के पड़ों पर फलियां लदी हुई हैं। इन फलियों का सेवन कई तरीकों कर सकते हैं जिसका सीधा फायदा जोड़ों व घुटनों के दर्द में होता है। ऐसे में आई जानते हैं बबूल की फली के फायदे…
बबूल वृक्ष विशेषकर राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में आसानी से मिल जाता है। राजस्थान में तो बबूल के वृक्षों की भरमार है। जितनी मजबूत व कामयाब बबूल वृक्ष की लकड़ी होती है उतनी है उपयोगी इसकी छाल व फली भी होती है। बबूल की छाल से कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। बबूल की जड़ भी जबरदस्त औषधि के रूप में कार्य करती है। वहीं, बबूल की लकड़ी से मजबूत फर्नीचर बनता है। बबूल की फली से सब्जी, अचार, लड्डू व पाउडर (Babul Ki Fali Ka Powder) बनाकर खाए जाते हैं। ऐसे में आप भी बबूल की फली का कई तरह से उपयोग कर इसके फायदे उठा सकते हैं।
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बबूल के पेड़ पर जो फलियां लगती है उन्हें तोड़कर लाएं और सुखाकर पीसकर पाउडर (Babul Ki Fali Powder) बना लें। इस पाउडर को सुबह 1 चम्मच की मात्रा में गुनगुने पानी से खाएं। इस पाउडर का 2 से 3 महिने सेवन करने से घुटने का दर्द बिल्कुल ठीक हो सकता है। इतना ही नहीं बल्कि घुटने बदलने की जरुरत भी नही पड़ेगी। वहीं हड्डियां भी मजबूत होगी।
बबूल फली दाँतों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। इसका यूज दाँतों के मसूढ़ों की समस्याओं, जैसे कि मसूढ़ों की सूजन और गिरने के खिलाफ उपचार में किया जाता है। बबूल की डाली से मंजन करने से मसूड़े मजबूत रहते हैं।
बबूल फली के छिलके का इस्तेमाल मुँह में छाले, गिलापन, और बदबू के खिलाफ उपाय के रूप में किया जाता है।
इसके पत्तों और छाल (Babul Ki Chal) का काढ़ा सर्दी और खांसी में लाभकारी हो सकता है।
बबूल फली के अलावा इसकी इसकी जड़ें और छाल विषाक्तता के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
बबूल की जड़ों (Babul Ki Jad) का पाउडर बनाकर और इसके पेड़ के बारीक काटे हुए भागों का काढ़ा पीने से जोड़ों के रोगों का इलाज किया जा सकता है।
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