स्थानीय

बांसवाड़ा का ये मंदिर है चमत्कारी : दर्शन करने से मिलता राजनीति में सत्ता का सुख

जयुपर। राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है। सभी पार्टियां पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में है। भाजपा हो, कांग्रेस हो, आरएलपी हो या बाप पार्टी हो, सभी चुनाव जीतने का दावा कर रही है। लेकिन इसी बीच आज में एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करने वाले है। जिसका इतिहास राजनीति से जुड़ा है, या यू कहे कि इस मंदिर में धोक लगाने से सियासी मैदान में चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार की मनोकामना पूरी होती है, तो चलिए जानते है मंदिर की पूरी कहानी?

दर्शन करने से मिलता है सत्ता का सुख

बांसवाड़ा के एक ऐसी देवी का मंदिर है। जहां राजनीति के बड़े से बड़े धुरंधर भाग लगाने जाते है, मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से सत्ता का सुख भोगने का आशिर्वाद मिलता है। दरअसल बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर मातारानी त्रिपुरा सुंदरी का है, जहां नवरात्रि में बड़ी संख्या में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी त्रिपुरा सुंदरी मंदिर दर्शन करने पहुंचे थे। सिर्फ इतना ही नहीं यहां पूरे देश से राजनीतिज्ञ धोक लगाने आते है। राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश, गुजरात सहित कई राज्यों के राजनीतिज्ञ मां त्रिपुरा सुंदरी के मंदिर में अपनी कामनाओं की झोली फैलाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। बता देते है कि इस मंदिर में कौन-कौनसे बडे राजनीतिज्ञ मंदिर में धोक लगा चुके है। मातारानी त्रिपुरा सुंदरी के दर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व उप राष्ट्रपति स्व. भैरोंसिंह शेखावत, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल कलराज मिश्रा, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भूपेन्द्र यादव, योग गुरु बाबा रामदेव, प्रकाश जावड़ेकर, हेमा मालिनी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, ओम माथुर, असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पूर्व राज्यपाल स्व. कल्याण सिंह, पंजाब के राज्यपाल रहे वीपी सिंह, सीपी जोशी, सचिन पायलट, डॉ. सीपी जोशी सहित मध्यप्रदेश के भी दिग्गज नेता माता के चरणों में धोक लगा चुके हैं और माता रानी ने उनकी मनोकामना भी पूरी की है। बता दे कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनावों के बाद मतगणना के दिन सुबह ही मंदिर पहुंच जाती हैं। चाहे हार हो या जीत वह मां त्रिपुरा सुंदरी का आशीर्वाद लेने के बाद ही यहां से वापस जयपुर के लिए रवाना होती है। नवरात्रि में उनकी ओर से यहां विशेष अनुष्ठान भी कराया जाता है। वही पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी की भी मां त्रिपुरा सुंदरी में आगाध आस्था रही है, वह अपने मुख्यमंत्रित्व काल में जब भी वे जयपुर से आते, पहले त्रिपुरा सुंदरी मां के दर्शन करते और उसके बाद बांसवाड़ा के लिए प्रस्थान करते थे।

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का इतिहास

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के निर्माण काल का कोई ऐतिहासिक प्रमाण तो उपलब्ध नहीं है। हालांकि मंदिर क्षेत्र में एक शिलालेख मिला है। शिलालेख के अनुसार अनुमान है कि यह मंदिर सम्राट कनिष्क के काल से पहले का है। शिलालेख में त्रिउरारी शब्द का उल्लेख है। कहा जाता है कि यहां आसपास गढ़पोली नामक नगर था। इसमें सीतापुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी नाम से तीन दुर्ग थे। तीन दुर्गों के बीच देवी मां का मंदिर स्थित होने से इसे त्रिपुरा सुंदरी कहा जाने लगा। वहीं इस मंदिर में देवी का नाम त्रिपुरा सुंदरी होने के पीछे यह बताया जाता है कि यहां मां के दर्शन प्रात: में कुमारिका, मध्यान्ह में यौवना तथा संध्या में प्रौढ़ा रूप में होते हैं। गर्भगृह में मां त्रिपुरा सुंदरी की प्रतिमा 18 भुजाओं वाली है। भुजाओं में विविध आयुध, पांव में नवदुर्गाओं की प्रतिकृतियां उत्कीर्ण हैं। चरणों में श्री यंत्र निर्मित है। स्थानीय लोग इसे तरतई माता के नाम भी पुकारते हैं।
राजा सिद्धराज की इष्ट देवी त्रिपुरा सुंदरी गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की इष्ट देवी रही है, विदेशी आक्रांताओं ने क्षेत्र के मंदिरों को नष्ट किया। देवी उपासकों ने प्रतिमा की रक्षा की। वर्षों पूर्व चांदा भाई पाता भाई लोहार ने त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के समय और इसके बाद विगत वर्षों में इसका जीर्णोद्धार कराया गया। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में इसका सौन्दर्यीकरण कराया गया है।

मंदिर के निर्माण काल का ऐतिहासिक प्रमाण नहीं

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के निर्माण काल का ऐतिहासिक प्रमाण तो उपलब्ध नहीं है। हालांकि मंदिर क्षेत्र में एक शिलालेख मिला है। शिलालेख के मुताबिक, यह मंदिर सम्राट कनिष्क के काल से पूर्व का है। कहा जाता है कि मां त्रिपुरा सुंदरी गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की इष्ट देवी थी। वो मां की पूजा के बाद ही युद्ध पर निकलते थे। यह भी कहा जाता है कि मालवा नरेश जगदेव परमार ने तो मां के चरणों में अपना शीश ही काट कर अर्पित कर दिया था। उसी समय राजा सिद्धराज की प्रार्थना पर मां ने जगदेव को फिर से जीवित कर दिया।

 

Mukesh Kumar

Recent Posts

Hindi Diwas : हिंदी हमारी धरोहर, हमारा स्वाभिमान…

Hindi Diwas : जयपुर। हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के अवसर पर जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के स्कूल…

3 days ago

Rawat Public School प्रताप नगर के विद्यार्थी सी बी एस ई वेस्ट जोन योगासन में चैंपियन

रावत पब्लिक स्कूल प्रताप नगर के विद्यार्थियों ने नंदूबा इंग्लिश एकेडमी स्कूल,सूरत में आयोजित सी…

1 month ago

झोटवाड़ा में रक्तदान शिविर का आयोजन, 50 से अधिक यूनिट रक्त एकत्र

blood donation camp : जयपुर। झोटवाड़ा स्थित 'डॉ. पांडे ईएनटी सेंटर' ने 'स्वरूप फाउंडेशन डीके…

2 months ago

जयपुर का युवा बना रहा है भारत के सबसे वैज्ञानिक बेबी टॉय ब्रांड – LiLLBUD

IIT दिल्ली के पूर्व छात्रों अभिषेक शर्मा और अयुष बंसल द्वारा स्थापित, LiLLBUD 0–18 महीने…

3 months ago

लिवर की बीमारियों के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए पहले से सचेत रहना जरूरी

Healthy Liver Tips : जयपुर। लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे शरीर…

5 months ago

सोनिया गांधी व राहुल गांधी के खिलाफ ईडी चार्ज शीट पेश, विरोध में उतरी कांग्रेस का धरना प्रदर्शन

National Herald Case : केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी व नेता प्रतिपक्ष राहुल…

5 months ago