डॉ. उरूक्रम शर्मा-
(DrUrukram Sharma)
जयपुर। भारतीय जनता पार्टी ने भरतपुर संभाग में बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं की बैठक के साथ ही राज्य में विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया है। इसकी कमान गृह मंत्री अमित शाह ने संभाली है और साथ में है पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे। पूर्वी राजस्थान खासकर भरतपुर संभाग में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। चारों जिलों की 16 सीटों में से भाजपा के खाते में सिर्फ एक सीट आई थी, लेकिन उस सीट से जीती भाजपा की विधायक को क्रास वोटिंग में पार्टी से निकाल दिया था। पूर्वी राजस्थान को मजबूत करने के लिए अमित शाह ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए हुंकार भरी है।
विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने राजस्थान में सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अडाप्ट किया। ब्राह्मणों को खुश करने के लिए प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, क्षत्रियों को खुश करने के लिए राजेन्द्र राठौड़ को प्रतिपक्ष का नेता, जाटों के लिए प्रतिपक्ष के उपनेता का पद सतीश पूनिया को सौंपा गया। अभी वसुंधरा राजे को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है, लेकिन जल्द उन्हें सम्मानजनक दायित्व सौंपकर चुनाव की अग्रणी पंक्ति में रखा जाएगा। साथ ही गुटबाजी को खत्म करने के लिए किसी नेता को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट नहीं करने का फैेसला किया। वैसे मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करके लड़ना भाजपा ने कई राज्यों में बंद किया और नरेन्द्र मोदी के चेहरे और काम पर वोट मांगने की रणनीति बनाई। इथना ही नहीं बल्कि बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी कर दी। विस्तारक निकाल दिए। पन्ना प्रमुख अलग से बनाकर जिम्मेदारियां सौंप दी गई।
राजस्थान में 2023 में भाजपा की सरकार बनाने के संदर्भ में अमित शाह ने भरतपुर की सभा में राहुल गांधी, अशोक गहलोत और सचिन पायलट तीनों को निशाने पर लेकर राज्य सरकार और कांग्रेस को पूरी तरह विफल करार दिया। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा के बाद तीन राज्यों में चुनाव हुए और कांग्रेस पूरी तरह साफ हो गई। सचिन पायलट को लपेटने में भी कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि पायलट को भूल जाना चाहिए कि उनका नंबर कभी आएगा। गहलोत सरकार पर वार करते हुए जयपुर बम ब्लास्ट में आरोपियों को बरी, पेपर लीक प्रकरण, अपराध, दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए रवानगी की तैयारी करने के लिए कह डाला।
वहीं, कांग्रेस अभी लड़ाई-झगड़ों से बाहर ही नहीं निकल पा रही है। कांग्रेस के कुछ विधायक जमीनों पर कब्जा करने के मामलों में उलझे हैं तो कुछ विधायक सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनौती दे रहे हैं। हाल ही जयपुर में अनुसूचित जाति जनजाति के सम्मेलन में सरकार के मंत्रियों को मंच से बोलने तक नहीं दिया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट आक्रामक हो रहे हैं। वो अनशन पर बैठ चुके हैं।
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